लखनऊ। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने राज्य में मनरेगा के क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं के बारे में केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के आरोपों को राजनीति से प्रेरित करार दिया और कड़ी आपत्ति जताते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक पत्र लिखा है। प्रदेश के मंत्री मंडलीय सचिव शशांक शेखर सिंह ने आज यहां संवाददाताओं को बताया कि मुख्यमंत्री मायावती ने जयराम रमेश के पत्र में लगाये गये आरोपों और उठाये गये बिन्दुओं को राजनीति से प्रेरित करार देते हुए कहा कि रमेश का पत्र राज्य सरकार को प्राप्त होने से पहले मीडिया में पहुंचने से उनकी (रमेश) मंशा जाहिर हो रही है।
श्री शेखर ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस संबंध में आज प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिख कर रमेश द्वारा उठाये गये बिन्दुओं पर राज्य सरकार की स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने लिखा है कि उन्हें इस संबंध में पहले संवैधानिक प्रावधानों के तहत केन्द्र एवं राज्यों के बीच वित्तीय बंटवारे की व्यवस्था की जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए थी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने मनरेगा के प्रभावी क्रियान्वयन में कथित खामियों के बारे में केन्द्रीय मंत्री रमेश के आरोपों को बेबुनियाद और तथ्य से परे करार देते हुए कहा है कि पिछले तीन वर्षों में मनरेगा को लागू करने में उत्तर प्रदेश अन्य राज्यों से काफी आगे रहा है।
उन्होंने कहा कि अब तक इस संबंध में 71 प्राथमिकियां दर्ज कराकर 310 अधिकारियों ओर कर्मचारियों के विरद्ध निलबंन तथा अनुशासनात्मक कार्रवाई की गयी है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में मायावती ने मनरेगा में कथित वित्तीय अनियमितताओं के बारे में केन्द्रीय मंत्री की तरफ से आये सीबीआई जांच कराने के सुझाव को खारिज करते हुए कहा है कि राज्य की एजेंसियां भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने में सक्षम हैं।
श्री शेखर ने बताया कि मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश द्वारा मनरेगा के लिये राज्य सरकार के बजट को रोकने की धमकी पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि रमेश को संभवत: भारतीय संविधान में संघीय व्यवस्था के तहत वित्तीय अधिकारों की जानकारी नहीं है। मायावती ने मंत्री द्वारा मनरेगा की तुलना राष्टीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) से किये जाने पर भी आपत्ति जतायी है।
साथ ही प्रधानमंत्री को यह भी अवगत कराया है कि राज्य सरकार ने हमेशा ही मनरेगा के संबंध में प्राप्त शिकायतों पर कठोर कार्रवाई की है और मंत्री रमेश द्वारा इंगित मामलों को भी संज्ञान में लिया जा रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री से शेष धनराशि शीघ्र ही अवमुक्त कराने का भी आग्रह किया है। मुख्यमंत्री मायावती ने प्रधानमंत्री को लिखे गए अपने पत्र में यह भी बताया है कि राज्य सरकार ने पहले ही उपलब्ध धनराशि की 60 प्रतिशत से अधिक खर्च कर ली है और दूसरी किस्त के मामले में आवश्यक अभिलेखों के साथ मांग प्रेषित कर चुकी है।
उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने हाल ही में प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को भेजे पत्रा में राज्य में मनरेगा के क्रियान्वयन में कथित खामियों की ओर इशारा किया था और सात जिलों में कथित रप से गंभीर अनियमितताओं की जांच सीबीआई से कराने के सुझाव दिये थे। रमेश के इस पत्रा के बाद से मुख्यमंत्री मायावती कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों के निशाने पर थीं।
कांग्रेस के दोनों नेताओं ने कहा, यदि मायावती को रमेश का पत्र राजनीति से प्रेरित लगता है तो वे सीबीआई जांच से भाग क्यों रही हैं। उन्हें तो जांच का समर्थन करना चाहिए ताकि स्थिति साफ हो जाए। इस बीच केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल और प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने मनरेगा में कथित अनियमितताओं के बारे में सीबीआई जांच पर बल देते हुए कहा है कि यदि मायावती को रमेश का पत्र राजनीति से प्रेरित लगता है तो वह सीबीआई जांच से क्यों भाग रही हैं।