सत्ता का खौफ: 10 ड्रम मिट्टी का तेल पकड़ा, FIR कराने में पुंगी बजी

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फर्रुखाबाद: सत्ता के खौफ के आगे प्रशासन किस प्रकार घुटने टेकता है, इसका नजारा मंगलवार सायंकाल फतेहगढ़ में देखने को मिला। नवदिया में ठाकुरद्वारा मंदिर के निकट सड़क के किनारे 10 ड्रम मिट्टी का तेल रखे होने की जानकारी नगर मजिस्ट्रेट को दी गयी। नगर मजिस्ट्रेट ने अपने ड्राइवर व होमगार्डों को भेजकर पुष्टि भी करली। इसी बीच सत्तारुढ़ दल से जुड़े एक ठेकेदार के कुछ कारिंदे प्रकट हुए। उन्होंने ड्राइवर की किसी से फोन पर बात करायी। इसी के साथ सिटी मजिस्ट्रेट का अमला वहां से वापस चला गया। मीडिया कर्मियों ने डीएम को फोन लगाया तो पता चला कि वह लखनऊ में है, परंतु उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट को भेजने की बात अवश्य की। इधर डीएसओ आरएन चतुर्वेदी का तो मोबाइल फोन ही बंद मिला। काफी देर बाद प्रभारी पूर्ति निरीक्षक राजीव कुमार पहुंचे। उन्होंने एफआईआर कराने के बजाय यह तेल मौके पर मिले तीन कम उम्र युवकों की गवाही के साथ एक चर्चित कोटेदार मोहनलाल शुक्ला की सुपुर्दगी में देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली।

 

फतेहगढ़ के मोहल्ला नवदिया में ठाकुर द्वारा की कुछ भूमि खाल पड़ी हुई है। इस पर एक स्थानीय ठेकेदार का कब्जा है। यहीं पर सड़क निर्माण से संबंधित सामग्री, ट्रेक्टर व रोलर आदि खड़े हैं। यही पर तार कोल के ड्रमों के साथ मिट्टी के 10 ड्रम भी रखे हैं। इन ड्रमों के ऊपर कुछ कोटेदारों के नाम भी लिखे हैं। कुछ स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना नगर मजिस्ट्रेट को दी। नगर मजिस्ट्रेट ने पहले तो अपने ड्राइवर व होमगार्डों को मामला सूंघने के लिये भेजा। इसी बीच वहां पर एक सत्तारूढ दल से जुड़े बड़े ठेकेदार के कुछ कारिंदे आ धमके। उन्होंने नगर मजिस्ट्रेट के ड्राइवर को कोने में ले जाकर कुछ वार्ता की व किसी से उसकी मोबाइल पर वार्ता करायी। इसी के बाद नगर मजिस्ट्रेट का अमला वापस चला गया। इसी बीच कोतवाली पुलिस के दो उपनिरीक्षक भी वहां पहुंच गये। परंतु वह भी घटना स्थल के सीमा विवाद पर ही चर्चा करते रहे। लगभग दो घंटे बाद जिला पूर्ति कार्यालय के एक प्रभारी निरीक्षक राजीव कुमार पहुंचे। उन्होंने जांच पड़ताल के बाद पाया कि नौ ड्रमों में मिट्टी का तेल है व एक ड्रम में डीजल है। जाहिर है कि जहां आम आदमी एक-एक लीटर कैरोसिन के लिये तरस रहा हो वहां नौ ड्रम की जिम्मेदारी कौन लेता। सो राजीव कुमार ने कोई दावेदार न मिलने के कारण तीन स्थानीय युवकों की गवाही के आधार पर सारा माल मोहनलाल शुक्ला नाम के एक कोटेदार की सुपुर्दगी में दे दिया।
ये सारा कारनामा इस बात की गवाही देता है कि भ्रष्टाचार की गंगा में सत्ताधारी नेता, कार्यकर्ता और सरकारी अफसर दोनों गांठ जोड़कर गोता लगाते हैं| या यूं कहें कि चोर चोर मौसेरे भाई| न तू मेरी बोल न मैं तेरी पोल खोलूँ|