अगले पांच सालों में धसक सकता है ताजमहल

Uncategorized

ताजमहल की नींव गलने लगी है। अगर जल्द ही कोई तरीका नहीं खोजा गया तो यह हैरतअंगेज इमारत दो से पांच साल के अंदर ध्वस्त हो जाएगी।

आगरा के 358 साल पुराने दुनिया के सातवें अजूबे ताजमहल नामक मकबरे का निर्माण आबनूस और मेहोगनी लकड़ी के खंभे पर किया गया था। इसकी नींव के खंभे कुओं में बनाए गए हैं। इन कुओं में पानी यमुना नदी से आता है। यमुना में पानी घटने के कारण इन कुओं में पानी नहीं पहुच रहा है। यमुना से पानी नहीं मिलने के कारण नींव में बने आबनूस और मेहोगनी लकड़ी के खंभे सड़ने लगे हैं। आबनूस और महोगनी की लकड़ी की खास बात यह है कि इसको जितनी नमी मिलेगी वो उतनी ही फौलादी और मजबूत रहेंगी। धीरे-धीरे ये कुएं सूखने लगे हैं और ताजमहल की नींव कमजोर पड़ने लगी है। नींव कमजोर पड़ने के कारण मकबरे के हिस्सों में दरारें पड़ गईं हैं। मीनारें थोड़ी झुक गई हैं।

मुगल काल में बनी ताज की नींव में वही तकनीक इस्तेमाल की गई है जो उस दौर की दूसरी ऐतिहासिक इमारतों को बनाने में की जाती थी। पुरात्वविदों का मानना है कि ताजमहल के नीचे चारों तरफ एक हजार से भी ज्यादा कुएं खोदे गए हैं। इन कुओं को ईंट पत्थर चूना और लकड़ी से भर दिया गया है। कुओं में आबनूस और महोगनी की लकडि़यों के लट्ठे डाले गए। ये कुएं ताजमहल की नींव को मजबूत बनाते हैं। इन कुओं को इस तरह बनाया गया कि यमुना नदी के पानी से नमी मिलती रहे। इसकी वजह ये है कि नींव में मौजूद आबनूस और महोगनी की लकड़ी को जितनी नमी मिलेगी वो उतनी ही फौलादी और मजबूत रहेंगी। इससे ताजमहल की नींव भी मजबूत बनी रहेगी। ताजमहल में 40 फीट ऊंची चार मीनारें नींव को संतुलन देती हैं। इन्हें इस तरह बनाया गया है कि ये बाहर की ओर थोड़ी झुक सकती हैं, ताकि भूकंप आने पर ये मीनारें मकबरे पर नहीं गिरेंगी।

विदित है कि पिछले तीस साल से किसी को ताजमहल की नींव देखने की अनुमति नहीं दी गई। मशहूर इतिहासकार रामनाथ कहते हैं कि ताजमहल का आधार यमुना नदी है और यह नदी सूख रही है। ताजमहल को बनवाने वाले बादशाह शाहजहां ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि यमुना नदी भी कभी सूख भी सकती है। यमुना नदी के किनारे लगे तमाम उद्योगों में नदी के पानी का इस्तेमाल होता है। प्रदूषण बढ़ गया है। सड़कों के नाम पर लगातार पेड़ काटे जा रहे हैं।  हर साल यमुना का पानी पांच फीट नीचे जा रहा है। इस वजह से पानी की जबरदस्त कमी होती जा रही है।

ताजमहल को बचाने के लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण बोर्ड ने जो ब्लू प्रिंट तैयार है, वह पैसे की कमी के कारण यह 2003 से फाइलों में बंद पड़ा है। अनुमान है कि ताजमहल को बचाने के लिए जो प्रोजेक्ट तैयार किया गया है उसपर करीब 100 मिलियन डालर की लागत आयेगी।