गैंगरेप के आरोपी सिपाहियों को छोड़ने पर दलितों की सीओ से झड़प

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फर्रुखाबाद: सेंट्रल जेल के सिपाहियों पर एक दलित कैदी की पत्नी द्वारा लिखाये गये गैंगरेप के मुकदमें में पुलिस को अब अपनी साख बचानी मुश्किल पड़ रही है। चार आरोपियों में से मात्र तीन को ही जेल भेजे जाने के निर्णय से भन्नाये दलितों ने गुरुवार को निरीक्षण भवन में सीओ सिटी को जमकर खरी खोंटी सुनाईं। तीखी झड़पों के बीच दलित नेताओं ने पुलिस पर खाकी को बचाने के प्रयासों के आरोप लगाये। विदित है कि प्रकरण के चांज अधिकारी स्वयं सीओ सिटी वीके सिंह ही हैं।

विदित है कि विगत 22 अगस्त को जन्माष्टमी के अवसर पर राजवीर की पत्नी सुधा कठेरिया अपने पति से मिलाई क्रने के लिये फतेहगढ़ सेंट्रल जेल आयी थी। मिलाई के लिये देर हो जाने के कारण उसे जल्द और विशेष मुलाकात का लालच देकर कुछ बंदी रक्षकों ने उसे परिसर में ही बने एक आवास में बैठा दिया। महिला को नशीला पदार्थ देकर उसके साथ बलात्कार किया| किसी प्रकार उसने इसकी सूचना अपने पति को पहुंचाई। पति रजवीर ने इस संबंध में शिकायत का प्रार्थना पत्र जेल अधीक्षक को दिया| शिकायत पर पुलिसक्षेत्राधिकारी नगर द्वारा प्रारंभिक जांच के बाद 26 अगस्त को मुकदमा दर्ज करने के आदेश कर दिये गये थे। कोतवाली फतेहगढ़ में  जेल कर्मियों अजय, कृष्णमुरारी, मुशर्रफ व वीकेश ठाकुर के विरुद्ध बलात्कार व हिरजन उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कर लिया गया।

परंतु एफआईआर के बावजूद अभी तक चार में से मात्र एक ही बंदी रक्षक को जेल भेजा गया है। उल्लेखनीय है कि पुलिस पहले दिन से ही मामले को संदिग्ध मान रही थी। पुलिस द्वारा चारों बंदी रक्षकों का डीएनए टेस्ट भी कराया गया था। जाहिर है कि डीएनए टेस्ट कराने तक चारों आरोपी जेल सिपाही पुलिस के पास थे। टेस्ट रिपोर्ट की रिपोर्ट अभी आयी नहीं है। फिर भी अभी तक मात्र एक ही बंदी रक्षक को बुधवार को ही जेल भेजा गया है। जिसको लेकर पुलिस पर खाकी को बचाने के आरोप लग रहे हैं। प्रकरण की जांच को केंद्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अंवेषक केके सेठ बुधवार शाम यहां पहुंच गये हैं। लोक निर्माण विभाग के निरीक्षण भवन में पीड़ित महिला के बयान दर्ज कराने के लिये उसके  साथ आये कठेरिया समाज के लोगों में पुलिस की भूमिका को लेकर काफी रोष है। गुरुवार को महिला के समर्थन में आये बसपा नेता वीरेंद्र कठेरिया व सपा नेता लाखन सिंह कठेरिया ने निरीक्षण भवन मे मोजूद सीओ सिटी वीके सिंह को आड़े हाथों ले लिया। लोगों ने श्री सिंह के सामने ही पुलिस पर खाकी को बचाने के लिये जांच में मनमानी करने के आरोप लगाये। जांच के लिये आये अंवेषक केके सेठ के सामने भी पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाये।