टीचर्स डे: शिक्षकों को नमन

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फर्रुखाबाद: ज्ञान की गंगा बहाने वाले गुरु को शास्त्रों में परमब्रह्म कहा गया है। संत कबीर ने गुरु की महिमा का बखान करते हुए कहा है, “गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।”गुरु हमेशा से सम्मान के पात्र रहे हैं। आधुनिक भारत में गुरुओं को सम्मान देने के लिए विशेष दिवस चुना गया है- शिक्षक दिवस।

छात्रों के लिए शिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट करने का यह सुनहरा मौका होता है। छात्र शिक्षकों को उपहार भेंट करते हैं, ग्रीटिंग कार्ड के जरिए बधाई संदेश देते हैं और उनके सम्मान में कविताएं और गीत सुनाते हैं।

यह दिवस हर साल आता है और छात्रों के लिए भी विशेष बन जाता है। इस दिन छात्र शिक्षक बन जाते हैं और शिक्षक छात्र बनकर शिष्यों की बातों को गौर से सुनते हैं। इस तरह वे अपने उन दिनों की स्मृतियों को ताजा करते हैं जब वे स्वयं छात्र हुआ करते थे। शिक्षक दिवस यानी पांच सितम्बर को शिक्षकों को ऐसे ही रोचक अनुभवों से गुजरने का अवसर मिलता है।

शिक्षक दिवस वैसे तो पूरे विश्व में मनाया जाता है लेकिन अलग-अलग तिथियों को। भारत में यह दिवस पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस पांच सितम्बर को मनाया जाता है। देश में शिक्षक दिवस मनाने की परम्परा तब शुरू हुई जब डॉ. राधाकृष्णन 1962 में राष्ट्रपति बने और उनके छात्रों एवं मित्रों ने उनका जन्मदिन मनाने की उनसे अनुमति मांगी।

स्वयं 40 वर्षो तक शिक्षण कार्य कर चुके राधाकृष्णन ने कहा कि ‘अनुमति तभी मिलेगी जब केवल मेरा जन्मदिन मनाने के बजाय देशभर के शिक्षकों का दिवस आयोजित करें।’ इसके बाद से प्रत्येक वर्ष शिक्षक दिवस मनाया जाने लगा।

राधाकृष्णन का जन्म पांच सितम्बर 1888 को मद्रास (चेन्नई) के तिरुत्तानी कस्बे में हुआ था। उनके पिता वीरा समय्या एक जमींदारी में तहसीलदार थे। उनका बचपन एवं किशोरावस्था तिरुत्तानी और तिरुपति (आंध्र प्रदेश) में बीता। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से एम.ए. की पढ़ाई पूरी की तथा ‘वेदांत के नीतिशास्त्र’ पर शोधपत्र प्रस्तुत कर पी.एचडी. की उपाधि हासिल की।

मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज के दर्शनशास्त्र विभाग में 1909 में वह व्याख्याता नियुक्त किए गए। फिर 1918 में मैसूर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बने। लंदन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में वह 1936 से 39 तक पूर्व देशीय धर्म एवं नीतिशास्त्र के प्रोफेसर रहे। राधाकृष्णन 1939 से 48 तक बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे।

वर्ष 1946 से 52 तक राधाकृष्णन को यूनेस्को के प्रतिनिधिमंडल के नेतृत्व का अवसर मिला। वह रूस में 1949 से 52 तक भारत के राजदूत रहे। 1952 में ही उन्हें भारत का उपराष्ट्रपति चुना गया। मई 1962 से मई 1967 तक उन्होंने राष्ट्रपति पद को सुशोभित किया।

राधाकृष्णन ने कहा था, ‘शिक्षकों को देश का मार्गदर्शक होना चाहिए।’ शिक्षक दिवस शिक्षकों के लिए गर्व का दिन होता है। इस दिन छात्र अपने गुरुओं के मनोरंजन के लिए नृत्य एवं नाटक प्रस्तुत करते हैं। कहीं-कहीं छात्र शिक्षकों की वेशभूषा में अपने स्कूल या कॉलेज जाते हैं और अध्यापक की भूमिका अदा करते हैं। इससे शिक्षकों का मनोरंजन तो होता ही है, वे अतीत के सुनहरे पलों में खो जाते हैं।

पूर्वी दिल्ली के शकरपुर स्थित लिट्ल पर्ल स्कूल की शिक्षिका प्रवेश प्रांजल कहती हैं, “हमें बच्चों का अच्छा दोस्त बनकर उन्हें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना चाहिए लेकिन जब किसी शिक्षक द्वारा छात्र या छात्रा की बेरहमी से पिटाई की खबर सुनती हूं तो बहुत दुख होता है। सम्मान अर्जित किया जाता है। ऐसे शिक्षक कभी सम्मान अर्जित नहीं कर सकते।”

शिक्षक दिवस विभिन्न देशों में अलग-अलग तिथि को मनाया जाता है। पड़ोसी देश पाकिस्तान और रूस में पांच अक्टूबर, चीन में 10 सितम्बर, अमेरिका में छह मई, ईरान में दो मई, सीरिया, मिस्र, लीबिया और मोरक्को में 28 फरवरी, थाईलैंड में 16 जनवरी, इंडोनेशिया में 25 नवम्बर तथा दुनिया के अधिकांश देशों में पांच अक्टूबर को शिक्षक दिवस मनाने की परम्परा है।