फर्रुखाबाद: केंद्रीय कारागार फतेहगढ़ में हुए दलित महिला के साथ गैंगरेप में फंसे चारो बंदी रक्षक अजय, कृष्ण मुरारी, मुशर्रफ, बीकेश ठाकुर व दोनों डिप्टी जेलरों अश्वनी गुप्ता, एसके सिंह को जेल व पुलिस प्रशासन बचाने की कवायद कर रही है|
२२ अगस्त की रात जन्माष्ठमी के दिन दलित महिला सुधा कठेरिया की तहरीर के अनुसार उसको नशीला पदार्थ खिलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया गया था| घटना की जानकारी होने के बावजूद जेल प्रशासन एक-दूसरे का मुंह बंद किये रहा| मामला मीडिया में पहुँचने से उच्चाधिकारियों ने चारों बंदी रक्षकों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया| लेकिन दोनों डिप्टी जेलरों को जेल प्रशासन फिर भी लोगों के आखों में धूल झोंककर बचाने का प्रयास करता रहा|
बाद में मामले को रफा-दफा करने के लिए दोनों डिप्टी जेलरों का स्थानान्तरण कन्नौज कर दिया गया| लेकिन मामला खाकी का होने के कारण पुलिस प्रशासन ने कई दिनों तक पीडिता महिला सुधा कठेरिया का बयान अदालत के सामने नहीं करवाया| बंदी रक्षकों को पुलिस अपने रिमांड पर लिए रही जिससे मामला ठन्डे बस्ते में चला जाए|
लेकिन मीडिया लगातार इस घटना को संज्ञान में लिए रही| ऐसा कम ही देखा गया कि बलात्कारी के आरोपी का डीएनए टेस्ट हुआ हो| इसी लिए खाकी को बचाने के लिए चारों बंदी रक्षकों का आज शनिवार को डीएनए टेस्ट कराया गया|