निकल गयी हेकड़ी- यूपी पुलिस सर्च वारंट लेकर छापा मारने चली

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फर्रुखाबाद: लगता है कि अब यूपी पुलिस की हेकड़ी निकल गयी है| वर्ना ऐसा तो नहीं सुना था कि यूपी पुलिस में सिपाही से लेकर थानेदार को किसी के घर में छापा मारना हो और उसके लिए आमतौर पर वो सर्च वारंट लेता हो| हमने फिल्मो में तो पुलिस को छापा मारने से पहले सर्च वारंट दिखाते देखा था मगर असल जिन्दगी में फर्रुखाबाद में ये पहली वार देखने को मिला जब ब्रम्ह कुमारी आश्रम सिकत्तर बाग़ में तलाशी लेने के लिए कोतवाल कालूराम को सर्च वारंट का इंतजाम करना पड़ा| निकल गयी सब हेकड़ी कोतवाल साहब की| आज तो पूरे शहर में यही चर्चे हैं आश्रम में घुसने के लिए कालूराम सर्च वारंट लेकर गए, कल से हर आदमी घर में पुलिस घुसाने से पहले सर्च वारंट मांगने लगा तो कोतवाल साहब के रोब का क्या होगा|

बात कानूनन तो यही सही है कि किसी के घर या प्रतिष्ठान में तलाशी लेने से पहले सर्च वारंट लेना आवश्यक होता है मगर यू पी पुलिस ने आमतौर पर ये सलीका नहीं सीखा| कप्तान साहब की खासमखास स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप जिसे एसओजी टीम कहते है हर रोज ही कहीं न कहीं छापा मारते हैं मगर कप्तान साहब की ये टीम तक खुद कितने सर्च वारंट लेती है| शायद साल में एक दो या वो भी नहीं| किसी भले आदमी के घर में कितनी ही बार बेबजह घुस कर ये खाकी वर्दी एक आम आदमी की इज्जत का जनाजा हर रोज निकालती है|

असल में पूरे मामले के पीछे तेज तर्रार वकील ए के शर्मा की कानूनी दहशत है| आश्रम में रहने वाले खुद व् खुद आते है और वो भी लिखा पड़ी करके| बाबा वीरेन्द्र देव दीक्षित जब पहली बार निवर्तमान एस पी सत्यनारायण के हौसले के शिकार हुए उसके बाद बाबा ने वकील की राय से सारा काम करना शुरू कर दिया| आश्रम में रहने वाली हर नावालिग़ लड़की के माँ बाप की सहमती के कानूनी प्रमाण पत्र आश्रम के पास है और हर बालिग लड़की का खुद का सहमती पत्र वो भी नोटरी से प्रमाणित| ऐसी हालात में आश्रम के दबड़े में रहने वाली लड़कियों को बहला फुसला कर लाना साबित करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है|

ये आश्रम और इस आश्रम के मालिक बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के मजे हुए खिलाड़ी है| बताते है कि बाबा वीरेन्द्र देव पहले माउंट आबू स्थित ब्रह्म कुमारी ईश्वरीय विश्विद्यालय में थे| वहां वो शिक्षक के रूप में थे जो मुरली पढ़ाते थे| मुरली उस संस्था का आदर्श ग्रन्थ है| बताते हैं बाबा उनकी वो मुरली चुरा लाये और उसमे थोडा बहुत हेर फेर कर अपनी नयी मुरली रच ली| फिर बाबा का काम चल निकला| पहला आश्रम कम्पिल में खोला| उसके बाद फर्रुखाबाद और फिर दिल्ली, अहमदाबाद, हैदराबाद, इंदौर, और जाने कहाँ कहाँ| अब तक ये संख्या एक सैकड़ा पार हो चुकी है| सुना बाबा के विदेश में भी आश्रम है| इनके आश्रम में रहने वालो की अपनी कोई सोच नहीं रहती| कुदरत का दिया हुआ दिमाग कम से कम प्रयोग करने पर जोर| बाहरी दुनिया को आडम्बर और गन्दी दुनिया बताया जाता है| कोई विधवा तो कोई पति की सताई हुई| सब बाबा की शरण में है|

इनके आश्रम और इनके सानिध्य में आने के बाद एक जीते जागते इंसान की मौत सी हो जाती है| वो इस सुन्दर जहाँ के लिए कोई विकास का काम नहीं करता| केवल खाता और मल त्यागता है| मुरली के अलावा दुनिया के सब ज्ञान बेकार बताये जाते है| आश्रम में अखबार तक नहीं जाता| अनादर के लोगो देश दुनिया से दूर कर दिया जाता है| और सब मनोवैज्ञानिक रूप से किया जाता है|

हर साल कितने ही माँ बाप अपनी लड़कियों को वापस लेने यहाँ के आश्रम में आते है| जब भी मीडिया ने हस्तक्षेप किया कुछ एक ही वापस जा पाए मगर १७ साल के बाद दूसरी बार पुलिस विधिवत घुस रही है सुखद संकेत हो सकता है मगर दो चार नहीं, दो चार दर्जन अदालती नोटिस के लिए तैयार हो जाए तमाश वीन और मीडिया|