लोकपाल के मुद्दे पर अन्ना को समर्थन देने के बाद अब मायावती अपने स्टैंड से पलट गई हैं। शुक्रवार को मायावती ने अन्ना और उनकी टीम के खिलाफ सीधा मोर्चा खोला तथा उन्होंने अन्ना और उनकी टीम को 2014 का लोकसभा चुनाव लड़कर संसद में जन लोकपाल बिल पास करवाने की सलाह दी है। एकाएक बुलाई प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम ने दिल्ली पुलिस से यह भी कहा है कि वह अपने तरीके से रामलीला मैदान में हुड़दंगियों से निपटे।
मायवती को राहुल गांधी की वह बात शायद ठीक नहीं लगी जिसमें राहुल ने जन लोकपाल को चुनाव आयोग की तरह संवैधानिक दर्जा देने की बात कही थी। तभी मायावती बोली कि संवैधानिक तरीके से अन्ना एवं अन्ना टीम को इलेक्शन का सामना करना चाहिए।
मायावती ने साफ कहा कि उन्हें अन्ना की दो शर्तें मंजूर नहीं है। संसद में सभी पक्षों की सहमति लेने के बाद ही संविधान के मुताबिक ही कोई कार्य हो। कमेटी में सबका प्रतिनिधित्व हो। संसद में जन लोकपाल बिल आम सहमति से पारित हो। अगर सबको तरजीह नहीं दी गई तो उनकी पार्टी बिल का समर्थन नहीं करेगी। छोटे कर्मचारियों को जन लोकपाल बिल के दायरे से बाहर रखने की बात उन्होंने पहली बार कही।
यूपी की सीएम ने साफ कहा है कि लोकायुक्त/लोकपाल नियुक्त करने का अधिकार राज्यों का बरकरार रहना चाहिए। संविधान में इसके लिए राज्यों के अधिकार का पूरा ख्याल रखा गया है। मायावती ने अन्ना को सुझाव दिया है कि संविधान के मुताबिक ही अपने आंदोलन की रूपरेखा रखें और संसद की सर्वोच्चा का आदर करें। मायावती के इस बयान के बाद अब समाजवादी पार्टी सहित अन्य दल भी अपनी बात खुलकर रख सकते हैं।
मायावती के इस ताजा कदम के बाद आशंका है कि यूपी में मायावती के विरुद्घ अन्ना समर्थक जगह-जगह आंदोलन कर सकते हैं। वैसे इस बयान के बाद इतना तो तय है कि यूपी पुलिस अब अन्ना समर्थकों के खिलाफ भी ऐक्शन ले सकती है। अभी तक मायावती अन्ना के आंदोलन के पक्ष में थीं और इसी के नाते यूपी में अन्ना समर्थकों के विरुद्घ किसी भी तरह का कदम नहीं उठाया जा रहा था।