नई दिल्ली: आज (बुधवार) को सरकार से बातचीत के लिए दिल्ली पहुंचे अन्ना हजारे ने कड़े तेवर दिखाए। उनके सहयोगी ने भी साफ कर दिया कि सरकार मजबूत लोकपाल लाने के पक्ष में नहीं है और ऐसे में अनशन ही एक मात्र रास्ता रह गया है।
संसदीय समिति के सामने अपनी बात रखने के लिए अन्ना दिल्ली आए हैं। उन्होंने कहा कि देश की जनता यह समझ चुकी है कि मौजूदा सरकार भ्रष्टाचार से लड़ने में सक्षम नहीं है। उनके साथ मौजूद अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सरकार ने लोकपाल बिल का जो मसौदा सदन में पेश किया है, उस पर चर्चा कर समय की बर्बादी के सिवा कुछ हासिल नहीं होगा। अब अनशन ही एक मात्र रास्ता है।
हालांकि कांग्रेस ने टीम अन्ना को एक बार फिर बातचीत के मंच पर लाने में कामयाबी पा ली है। टीम अन्ना ने संसद की स्थायी समिति (कानून और न्याय मामले की) के सामने अपनी बात रखने की गुजारिश मान ली है। इस समिति के अध्यक्ष अभिषेक मनु सिंघवी हैं।
टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने बताया कि उन्हें राज्यसभा सचिवालय की ओर से संसदीय समिति के सामने अपनी बात रखने के लिए बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि हालांकि यह एक औपचारिकता ही है, फिर भी हम आपस में विचार कर तय करेंगे कि समिति को क्या कहना है और अपनी बात रखेंगे।
टीम अन्ना की मुख्य मांग है कि प्रस्तावित लोकपाल बिल के दायरे में प्रधानमंत्री और न्यायपालिका को भी रखा जाए। यह मांग मनवाने के लिए अन्ना हजारे और उनके समर्थक देश भर में आंदोलन कर रहे हैं और 16 अगस्त से अनशन भी करने वाले हैं। लेकिन इससे पहले एक बार उन्हें बातचीत में शामिल करने की कांग्रेस की कोशिश को आंदोलन कमजोर करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि इस पहल से यह संदेश देने की भी कोशिश होगी कि सरकार टीम अन्ना की मांग पर सख्त रुख अपनाए नहीं बैठी है, बल्कि बातचीत का रास्ता अपना रही है।
लोकपाल बिल सरकार की ओर से लोकसभा में पेश किया जा चुका है। मंगलवार को निर्दलीय सांसद राजीव चंद्रशेखर ने राज्यसभा में भी इसे पेश किया। टीम अन्ना सरकार पर आरोप लगाती रही है कि वह मजबूत लोकपाल लाने के पक्ष में नहीं है और इसके लिए उनके आंदोलन को भी कमजोर करना चाहती है। अन्ना ने मंगलवार को भी सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार उनके पीछे लग गई है। वह सेना में नौकरी के दिनों के रिकॉर्ड खंगाल रही है और अपने लोगों को महाराष्ट्र भेज कर उनके संगठन का कामकाज बाधित करना चाह रही है।