भ्रष्टाचार पर स्थानीय एमपी एमएलए और मीडिया को घेर कर पूछो सवाल?

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फर्रुखाबाद: जनपद के ज्यादातर इंटर कॉलेज में इन दिनों बच्चो को मार्कशीट देने के नाम पर 500 से 1000 रुपये तक वसूले जा रहे है| फतेहगढ़ फर्रुखाबाद के हर बड़े चमचमाते पब्लिक स्कूल में बच्चो के माँ बाप से गर्मियों की छुट्टी में बंद रहे स्कूल के दिनों की टयूशन फीस वसूली गयी| स्कूल में किताबो की दुकाने लगा कर महगी किताबे खरीदने के लिए मजबूर किया| बीएड कराने वाले हर कॉलेज ने अब बच्चो से परीक्षा फार्म और परीक्षा में बढ़िया नंबर दिलाने के नाम पर रकम ऐठ ली और खुद को कागजो में पाक साफ़ दिखाने के लिए हर बच्चे से लिखवाया कि उनसे कोई अतिरिक्त फीस नहीं ली गयी|

क्या कुछ नहीं हो रहा है| इन्ही कॉलेज के प्रबन्धक और उनके परिजन चुनाव लड़ते है| चुनाव के लिए पैसा आम जनता से एक तरीके से गुंडई से लूटते है और फिर इन्ही आम जनता पर राज करने के लिए वोट मांगते है| जिले में सब कुछ हो रहा है मगर किसी भी एमपी या एमएलए ने एक बार भी उफ़ नहीं की| इन बातो पर कोई चिट्टी जिलाधिकारी को नहीं लिखी? या ये सब रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया| उलटे इन्ही कामो में लिप्त स्कूल कॉलेज को अपनी विधायक निधि बाटी (आम शोहरत है विधायक निधि कमीशन लेकर बेच दी|)|

इसी प्रकार के धंधेबाज एक कॉलेज प्रबन्धक के भाई चुनावी मैदान में किस्मत आजमा अपनी गाडी पर उत्तर प्रदेश सरकार का मोनोग्राम लगवाने का सपना बुन रहे है| क्या इन्होने कभी अपने परिवार के शिक्षा में लूट लिप्तता पर अंगुली उठायी? मान लो गाहे बगाहे नहीं उठायी तो सवाल ये है कि क्या आगे उठाएंगे? कठिन एवं जटिल सवाल है मगर पूछना पड़ेगा?

एक विधायक जो आये दिन अपनी विरादरी के वोट के दम पर सत्ता में बने रहना चाहते है| उनका कहना है उनके रहते उनकी विरादरी का दूसरा कोई नेता कैसे हो सकता है| वे विधायकजी भी अपनी प्रबन्धकीय वाले विद्यालयों को एक नहीं कई बार जनता की गाढ़ी कमाई की विधायक निधि भेज चुके है? इनके विद्यालय में भी वही सब हो रहा है सो सब नक़ल माफियाओं के विद्यालयों में हो रहा है|

इन सभी विधायको के खातो में इस बात का कोई मतलब नहीं है कि कोटेदार राशन नहीं देता? प्रधान और ग्राम सचिव बिना घूस के कोई सरकारी सहायता नहीं मिलने देता? स्कूल में बच्चो को पढ़ाने की बजाय नक़ल से पास करा कर डिग्रीधारी गधे पैदा क्यूँ किये जा रहे है|

जबाब ये है भाई- मतलब भी क्यूँ और कैसे रखेंगे- जब एक विधायक बीए फेल एलएलबी हो और दूसरा इंटरफेल बीए करना चाह रहा हो|
हाँ इन सब के बीच हम मीडिया से भी उम्मीद जनता ज्यादा न करे क्यूंकि इन्ही हरकतों से भरपूर हम पत्रकार भी स्कूल चला रहे है और अपने पब्लिक स्कूल में यही सब कुछ करवा रहे है| महगे विज्ञापन लेकर उन लोगो की वाहवाही छाप रहे है जो वर्षो तक अपने अस्पताल में भ्रूण हत्या करते रहे अब समाजसेवी बनने का ढोंग कर रहे हैं और काली कमाई को सफ़ेद करने के लिए कॉलेज खोल रहे है| एक एक लाख का विज्ञापन अखबार में छपवा कर इनकम टैक्स की आँख में भी धुल झोक रहे हैं| आँख का पानी हमारा भी मर रहा है| मगर आस अभी बाकी है| हम भी प्रधान से लेकर एमपी एमएलए मंत्री बन रहे है और भ्रष्टाचार की गंगा में गोते लगा रहे है और लगाने को बेताब है| जनता से अपील है कि मौका मिले तो हमें भी नहीं छोड़ना|

साल भर जिले में घूसखोरी, बदइन्तजामी और सरकारी योजनाओं में लूट खसोट का खेल चलता है| जनता दिन रात गाहे बगाहे लुटती है और नेता माल बटोरने लिप्त हैं| जिनके कंधो पर इसे रोकने की जिम्मेदारी है वे इस लूट का हिस्सा ले मुह पर ताला जड़ रहे हैं| किस काम के एमपी और एमएलए? क्या इन्हें हम वोट जनता का शोषण करवाने के लिए देते रहे है?

सवाल बड़ा और मजबूत है| जबाब है मगर कोई ध्यान नहीं दे रहा है| सत्तारूढ़ नेता ने गाडी के शीशे चड़ा लिए हैं और 20 फुट ऊँचे मंच पर चढ़ कर अपनी पीठ ठोक जनता को मुह चिड़ा रहा है| हारे हुए विपक्षी नेता जनता का माल दूसरो द्वारा लुटता देख खिसिया रहा है जिलाधिकारी को ज्ञापन दे रहा, धरना प्रदर्शन कर रहा है और घडियाली आंसू बहा रहा है| इन सबके बीच आम आदमी पिस रहा है|

क्या इसका उपाय ये हो सकता है?
अगले चुनाव में एक चोर को गद्दी से उतार दूसरे को मौका देने की जगह वर्तमान चोरो को चौराहे तिराहे, इनकी गलिओं में सार्वजनिक रूप से तिरस्कार क्यूँ न किया जाए? फिर ये घूसखोर नेता हो, जनता हो या सरकारी कर्मी? क्यूँ न इनके नाम के आगे घूसखोर लगाया जाए? इनके पारिवारिक आमंत्रण को अस्वीकार किया जाए?