ट्रेन हादसा: गाँव में नहीं जले चूल्हे, चीखों से गूँज उठा जिला अस्पताल

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फर्रुखाबाद: जिला काशीराम नगर गांव के प्रदीप की शादी में सजधज कर बारात में गए लोग सकुशल वापस नहीं लौट सके। ट्रेन हादसे की सूचना से गांव में मातमी माहौल है। गुरुवार को गांव के अधिकांश घरों में चूल्हे नहीं जले। बच्चे भूख से परेशान बिलखते रहे। शादी वाले घर में देर रात तक जहां परंपरागत गीतों एवं लोक आयोजनों का दौर रहा।

देर रात सोए लोग अभी पहली नींद ही ले पाए थे कि हादसे की सूचना से गांव में कोहराम मच गया। हर घर से हादसे का शिकार लोगों के परिजन घटना की जानकारी लेने को बेताब थे। बारात के चलते गांव में आदमियों का टोटा था। ऐसे में बेबस महिलाएं परेशान थीं। फोन से मिल रही जानकारी उनकी तड़प और बढ़ा रही थी। तीन बजे तक पूरा गांव जाग चुका था।

पौ-फटते ही गांव के लोगों को मिली हादसे की सूचना

पौ फटते-फटते हर घर में चीत्कार का माहौल था। कुछ घंटों पूर्व तक ढोलक-मजीरों की थाप पर जश्न मना रही महिलाएं जमीन पर सिर पटक-पटक कर रो रही थीं। दूल्हे प्रदीप के घर से खुशी गायब हो चुकी थी। उसकी बहन नीता दहाड़े मारकर रो रही थी। धनसिंह के दो पुत्र रामखिलाड़ी एवं हाकिम की मौत की खबर से कोहराम था। रामखिलाड़ी की पत्नी मीरा बार-बार बेहोश हो रही थी। रामखिलाड़ी के छह पुत्रियां और एक पुत्र है। गांव के पुष्पेंद्र की तीन माह पूर्व शादी हुई थी। पहली बार ससुराल आई संगीता का तो बुरा हाल था। उसे सांत्वना देने वालों का कलेजा फट रहा था। वयोवृद्ध कीर्तिराम के दो बेटों जगवीर, सुखवीर की मौत से परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। हादसे में सोपाली उर्फ तुर्रम और उनके बेटे धर्मेंद्र की भी मौत हुई है। बताते चलें कि यादव गढ़ी निवासी भगवानसिंह के चार पुत्रों में दूसरे नंबर प्रदीप की बारात नरथर के पास अढ़ूपुरा गांव गई थी।

18 महिलाओं का सिंदूर मिटा

ट्रेन एक्सीडेंट में 18 महिलाओं का सिंदूर मिट गया। पोस्टमार्टम गृह पर महिलाओं की पीड़ा सुन हर किसी का दिल पसीज गया। रिंकू की शादी एक माह पूर्व अलीगंज के नथुआपुर से हुई थी। उस अभागे को क्या पता था कि वह अपनी पत्नी का एक महीने तक ही साथ दे पाएगा। हाथों की मेंहदी अभी छूट ही पाई थी कि उसका सुहाग भी उजड़ गया। वहीं परिवार का इकलौते चिराग पुष्पेंद्र की मौत के बाद तो बुढ़ापे की लाठी छिन गई।

क्रंदन से गूंजा जिला अस्पताल

मृतकों के परिजनों की चीखों से लोग सहमे थे। जगह-जगह पर बैठे लोग अपनों के लिए क्रंदन कर रहे थे। परिसर में कई महिलाएं रोते रोते बेहोश हो गईं थीं। तो वहीं वृद्ध महिला पुरुष अपनों को खोने के गम में बेहाल थे। दर्जनों लोग तो मृतकों के शव आने से पहले ही जिला चिकित्सालय आ गए थे। उनके करुण क्रंदन से हर आने वाले की आंख नम थी।