लखनऊ। सरकारी बजट में पैसा होता तो प्रदेश के विद्यालयों पर माया सकरार के गुणगान लिखी होर्डिंग लटकी होती, लेकिन पैसा न होने के कारण कार्य फिलहाल शुरू नहीं हो पाया है। शिक्षा विभाग को मिले गोपनीय निर्देश के बाद विभाग ने सभी स्कूलों को फरमान जारी कर दिया है कि वे होर्डिंग लगाने की तैयारी कर लें।
शिक्षा विभाग के इस ताजा आदेश के बाद अब विद्यालयों को सरकारी धन का इंतजार है जबकि जिला विद्यालय निरीक्षक चाहते हैं कि छात्रों लिए जाने वाले विकास शुल्क से यह कार्य करा लिया जाए। राज्य की आम जनता को सरकारी उपलब्धियां बताने के लिए अब स्कूलों का सहारा लिया जाएगा।
राजकीय, गैरराजकी, वित्त पोषित व वित्तविहीन सभी स्कूलों की चहारदीवारी पर सरकारी होर्डिंग लटकेगी। हाल ही में जिला विद्यालय निरीक्षकों ने प्रधानाचार्यों के साथ बैठक कर इसके मौखिक आदेश जारी कर दिए। प्रधानाचार्यों ने जब विद्यालय निरीक्षक से यह प्रश्न किया कि होर्डिंग के लिए बजट व पैसा कहां व किस प्रकार आएगा तो उन्होंने कहा कि जब तक पैसा नहीं आता है तब तक बच्चों के विकास शुल्क के रूप में जमा होने वाले धन से काम चलाया जाए तथा सरकारी धन आने के बाद धनराशि समायोजित की जाएगी।
विद्यालय निरीक्षक ने भले ही यह कह दिया हो कि सरकार की ओर से कुछ पैसा उन्हें बाद में मिल जाएगा लेकिन प्रधानाचार्यों को यह डर सता रहा कि यदि पैसा न मिला और विकास शुल्क के नाम पर लिया गया धन खर्च हो गया तो वे अभिभावकों को क्या जवाब देंगे।
प्रधानाचार्यों के मन में यह प्रश्न उठा रहा है कि कहीं अभिभावक व छात्र उग्र हुए तो वह मामला संभाल नहीं पाएंगे ऐसे में विद्यालय निरीक्षक भी अपने हाथ खड़े कर लें और सारी दारोमदार प्रधानाचार्य के ऊपर आ जाएगा। प्रधानाचार्यों पर दबाव है कि जुलाई माह से होर्डिंग लगाने का कार्य शुरू करा दें इसके लिए उन्हें बकायदा होर्डिंग का फार्मेट भी दिया जा चुका है जिसमें मायावती व रंगनाथ मिश्र की फोटो व सरकार की शैक्षिक उपलब्धियां दर्ज हैं।
प्रधानाचार्य जहां इस सरकारी आदेश को लेकर खासे परेशान हैं वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारी मामले में कुछ कहने को तैयार ही नहीं हैं, उनका कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। फिलहाल प्रधानाचार्य अभी शैक्षिक सत्र शुरू होने के कारण चल रही व्यस्तता बताकर होर्डिंग लगवाने का कार्य टाल रहे हैं।