देशभर में 30 जून से चवन्नी चलन से बाहर हो जाएगी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से सार्वजनिक बैंकों को निर्देश है कि वे लोगों से 25 पैसे के सिक्के लेकर उन्हें बदले में बड़े मूल्य वाले सिक्के या नोट दे दें। इसके बावजूद बैंक चवन्नियां जमा नहीं कर रहे हैं।
सिक्के बने में आम तौर पर इस्तेमाल होने वाली धातु तांबे, निकल, जस्ता और स्टैनलेस स्टील की वैश्विक कीमतों में उछाल की वजह से ज्यादातर मुल्क कम मूल्य वाले सिक्के बनाने में घाटे का मुंह देख रहे हैं। जाहिर है, इसके कारण बड़ी संख्या में सिक्के गायब हो सकते हैं।
सीधा सा समाधान हालात की हकीकत परखने और ये सिक्के ढालना बंद करना है। लेकिन अमेरिका में ऐसा नहीं होता। दुनिया के शेष हिस्सों में सिक्कों को लेकर कम आकर्षण देखने को मिलता है और अन्य मुल्कों ने कम वैल्यू वाले सिक्कों का उपयोग घटा दिया है। मसलन, न्यू जीलैंड ने 2006 में पांच सेंट का सिक्का बनाना बंद कर दिया था और दूसरे कम वैल्यू वाले सिक्कों का आकार और वजन घटा दिया गया। भारत में हम में से कई लोगों को 1, 2, 3, 5 और 10 पैसे के सिक्के याद होंगे, लेकिन अब ये इस्तेमाल से बाहर हैं।
कौन गिनने बैठता चवन्नी को: बैंक में सीमित स्टाफ रहता है, ऐसे में नौ हजार चवन्नी गिनना रुटीन टाइम में संभव नहीं है। पीड़ित को आरबीआई को सूचना देनी चाहिए कि चेस्ट ब्रांच के लोग एक साथ नो हजार चवन्नी स्वीकार नहीं कर रहे है, ऐसे में आरबीआई ही इसे स्वीकार करे। – एनके सपरा, सहायक महाप्रबंधक, एसबीआई
एसबीआई, पीएनबी, आदि प्रमुख बैंकों की शाखा को चवन्नी लेने के लिए अधिकृत किया है। इस तरह के लेनदेन की जिम्मेदारी इन बैंकों के हवाले है।