प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने का फैसला नहीं

Uncategorized

फर्रुखाबाद: केंद्रीय मंत्री और लोकपाल बिल के लिये गठित केंद्रीय मंत्रियों के समूह के सदस्य सलमान खुर्शीद ने शनिवार को यहां कहा कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में रखने का कोई फैसला नहीं हुआ है। लोक निर्माण विभाग के निरीक्षण भवन में वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सुरक्षा व्यवस्था का मुखिया होता है, अत: उसे किसी भी कीमत पर लोकपाल के दायरे में लाने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि 30 जून तक लोकपाल बिल संसद में प्रस्तुत कर दिया जायेगा। बाबा रामदेव के विरुद्ध हुई कार्रवाई को जायज ठहराते हुए उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था के लिये आवश्य हुआ तो रामलीला मैदान जैसी कार्रवाई फिर की जा सकती है। उन्होंने कहा कि काले धन की वापसी के लिये 25  देशों से करार हुआ है। सरकार इस दिशा में पूरी तरह प्रयासरत है।

कानून व्यवस्था के लिये आवश्य हुआ तो रामलीला मैदान जैसी कार्रवाई फिर की जा सकती है

वार्ता में श्री खुर्शीद ने कहा कि जहां तक उनकी जानकारी है, प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने के लिए कोई फैसला नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री देश की रक्षा व सुरक्षा व्यवस्था का मुखिया होता है। अत: उसे किसी भी कीमत पर लोकपाल के दायरे में नहीं लाना चाहिए। देश के प्रधानमंत्री पर विश्वास तो करना ही पड़ेगा, प्रधानमंत्री पर विश्वास किये बिना देश नहीं चल सकता। यदि प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के दायरे में आता है तो पद से हटने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में उसे लोकपाल के दायरे में रखकर कार्रवाई की जा सकती है।

सिविल सोसायटी के लोकपाल बिल मसौदे के विषय में पूछे जाने पर सलमान खुर्शीद ने आज यहां कहा कि मानने वाली बाते मानी गई हैं और जो नही मानने वाली हैं उन पर विचार नही किया गया है। उन्होंने कहा कि अव्यावहारिक व लोकतांत्रिक व्यवस्था विरुद्ध बातों को लोकपाल बिल में शामिल नहीं किया जा सकता। इस पर यदि अन्ना हजारे या सिविल सोसायटी अनशन करती है तो उनका यह अनशन संसदीय प्रणाली व लोकतांत्रिक व्यवस्था के विरुद्ध होगा। बाबा रामदेव के विरुद्ध केंद्र सरकार द्वारा की गयी कार्रवाई को आवश्यक बताते हुए उन्होंने कहा कि यदि भविष्य में भी इस प्रकार की कोई स्थिति पैदा होती है तो रामलीला मैदान जैसी कार्रवाई फिर अमल में लाई जा सकती है।