फर्रुखाबाद:(नगर संवाददाता) डीपीबीपी कॉलेज मदारवाड़ी में आयोजित सम्मेलन के समापन अवसर पर मानस मनीषियों ने कहा कि सनातन धर्म विश्व का सबसे पुराना धर्म है मानस हमें हमारे धर्म के प्रति कर्तव्यों का बोध कराता है| धर्म है तो हम हैं धर्म नहीं होगा तो हम भी नहीं होंगे|
श्री राम राज्याभिषेक की चर्चा करते हुए मानस भूषण अरिमर्दन शास्त्री ने कहा कि कलियुग में रामराज्य नहीं अराजकता हैं, यह तो त्रेता युग में ही संभव था, राष्ट्र निर्माण में युवाओं की अहम भूमिका निभाने के लिए नई पीढ़ी में राष्ट्रवाद की भावना जागृत करना धर्म गुरुओं व शिक्षकों का दायित्व है| महोबा से आयी मानस मंजरी राजकुमारी ने अपने भजनों से श्री राम कथा की अमृत वर्षा करते हुए रामचरितमानस को पढ़ना कितना आवश्यक है, उससे कहीं ज्यादा आवश्यक है कि श्री राम के चरित्र को जीवन में उतर जाये| प्रीति रामायणी ने कहा कि सनातन धर्म विश्व में शांति भाईचारा प्रेम का संदेश देता है| रामायण की पूजा करने के स्थान पर उसकी शिक्षाओं को जीवन में उतरे| साधना शर्मा रामायणी ने कहा कि मानव रामचरितमानस को पढ़ना सुना तो आवश्यक है, उससे कहीं अधिक आवश्यक है मानस के विभिन्न चरित्रों से प्रेरणा लेकर उनकी शिक्षाओं को जीवन में उतरे | आचार्य सर्वेश शुक्ला, प. आनन्द शुक्ला आदि ने रामकथा की अमृतवर्षा की|
चालक संत कवि ब्रज किशोर सिंह किशोर ने किया| श्री राम राज्याभिषेक आरती के साथ के साथ ही पांच दिवसीय मानस सम्मेलन का समापन करते हुए संयोजक भारत सिंह,प्रभारी राजेश निराला,डॉ. बीडी शर्मा. चंदन सिंह, गगन सिंह, मुकेश सिंह, शकुंतला कन्नौजिया आदि रहे|