फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) सूर्य उपासना के सबसे बड़े महापर्व छठ पूजन के चौथे दिन शुक्रवार की सुबह उदयीमान सूर्य की पूजा अर्चना कर श्रद्धालुओं ने अर्घ्य दिया। सूर्य पूजा के साथ ही चार दिवसीय महापर्व का समापन हो गया| बड़ी संख्या में महिलाओं ने इस पर्व में भाग लिया और पूजा अर्चना की गई।
सोमवार सुबह पांचाल घाट गंगा तट पर उदयीमान सूर्य की पूजा अर्चना कर अर्घ्य दिया गया। व्रतियों ने उगते सूर्य की उपासना कर 36 घंटे का निर्जला व्रत खोला। वहीं गुरुवार की शाम को अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया था। महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर षष्ठी मैया से पति और पुत्रों की दीर्घायु की कामना की। पर्व को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह रहा। इसके साथ ही महापर्व का समापन हो गया|
संस्कृतियों का समागम है छठ
आचार्य सर्वेश कुमार शुक्ल ने बताया कि छठ पूरी दुनिया का ऐसा इकलौता पर्व है जिसमें उगते सूरज की वंदना की जाती है और जल अर्पित किया जाता है। प्रकृति की वंदना का पर्व छठ यूं तो पूर्वांचल इलाके में ही मनाया जाता है लेकिन ग्लोबल होती दुनिया और संस्कृतियों के समागम के दौर में छठ पर्व अब महापर्व बना चुका है।
टोकरी लिए घर को रवाना हुए
सुबह के गुलाबी ठंड में अंजुली में सूर्य देव को अर्पण करने के लिए सामग्री लिए भक्त तीन चार घंटे रहे। सूर्य देव के उदय होते ही पटाखे और आतिशबाजी का दौर आरंभ हो गया। पूरे भाव से पूजन करने के बाद लोग सिर पर पूजन सामग्री का टोकरी लिए घर को रवाना हुए। इसी के साथ 36 घंटे के कठिन व्रत का समापन हुआ। छठ महापर्व प्रकृति पूजन का द्योतक है। इसमें भोग अर्पित करने के लिए मौसमी फल जो सरलता से उपलब्ध होते हैं जैसे मूली,शकरकंद इत्यादि बांस की टोकरी में रखे जाते हैं। बांस से तैयार सूप का विशेष महत्व माना जाता है। सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए एसपी आलोक प्रियदर्शी, अपर पुलिस अधीक्षक डा. संजय सिंह सिंह, सीओ सिटी ऐश्वर्या उपाध्याय, प्रभारी निरीक्षक आमोद कुमार आदि मौजूद रहे|