बेसिक शिक्षा- क्यूँ कटा MDM समन्वयक का 7 दिन का मानदेय?

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फर्रुखाबाद: प्राधिकरण मध्याह भोजन योजना को जिले से भेजी गयी मासिक/वार्षिक प्रगति रिपोर्ट बिना जिलाधिकारी के हस्ताक्षर कराये भेजने पर समन्वयक को दण्डित किये जाने का आदेश अपर निदेशक कानपुर मंडल बेसिक शिक्षा ने किया है| बेसिक शिक्षा विभाग में मध्याह भोजन योजना की समन्वयक नीलू मिश्रा का 7 दिन मानदेय एक बार फिर काटने के आदेश किये गए है| बिना जिलाधिकारी के हस्ताक्षर कराये MDM की विभिन्न प्रगति आख्या लखनऊ भेजने के पीछे कहीं के MDM के जिला स्तरीय खातो में घपले घोटाले खुलने का डर तो नहीं है|

विदित हो कि उत्तर प्रदेश मध्याह भोजन प्राधिकरण हर माह पूरे प्रदेश की जिलेवार प्रगति समीक्षा और मध्याह भोजन योजना नई दिल्ली को रिपोर्ट भेजने के लिए जिलों से प्रगति आख्या मंगवाता है| ये प्रगति रिपोर्ट नियमानुसार जिले की मध्याह भोजन समिति के बतौर पदेन अध्यक्ष जिलाधिकारी और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बतौर सचिव के हस्ताक्षर के प्रेषित किये जाने चाहिए| इन रिपोर्ट में परिवर्तन लागत, परिवहन लागत, मध्याह भोजन योजना के जिला स्तर और ग्राम स्तर के विविध व्यय (MME), और रसोइया मानदेय सम्बन्धी खर्च प्राप्ति आदि के व्योरे दर्ज किये जाते है| प्राधिकरण लखनऊ और नई दिल्ली इन रिपोर्ट को जिलाधिकारी हस्ताक्षरित मान्यता देता है| मगर फर्रुखाबाद जिले से ये रिपोर्ट आमतौर बिना जिलाधिकारी के हस्ताक्षर कराये भेजी जाती रही है| अप्रैल 2011 माह की प्रगति आख्या पर भी जिलाधिकारी के हस्ताक्षर नहीं कराये गए| केवल जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और समन्वयक ने हस्ताक्षर कर प्राधिकरण लखनऊ रिपोर्ट प्रेषित कर दी| 19 मई 2011 को लखनऊ स्थित प्राधिकरण में प्रदेश स्तरीय बैठक में इस मामले पर कड़ी फटकार के बाद प्रदेश के कई जिला स्तरीय समन्वयको के वेतन काटने के आदेश किये गए है|

फर्रुखाबाद में MME के खाते में गड़बड़ी का खुलासा-
गड़बड़ी छुपाने के लिए फ़ाइल जिलाधिकारी को नहीं भेजी गयी?

फर्रुखाबाद जिलें में मध्याह भोजन योजना के MME में घपले घोटाले की खबर पिछले सप्ताह जेएनआई ने प्रकाशित की थी| प्राधिकरण को जिलाधिकारी के हस्ताक्षर के बिना रिपोर्ट भेजना उस घोटाले की एक कड़ी हो सकती है| रिपोर्ट पर हस्ताक्षर मिड-डे-मील समन्वयक और बेसिक शिक्षा अधिकारी ने किये हैं| MME के खाते को इन दोनों के सिवा कोई संचालित नहीं करता है| इस खाते का लेखा जोखा रखने की जिम्मेदारी समन्वयक नीलू मिश्रा की है और इसके बैंक खाते का एकल संचालन बेसिक शिक्षा अधिकारी के हस्ताक्षर के द्वारा होता है| जाहिर है इस खाते में क्या क्या घपला घोटाला है इसकी जानकारी केवल इन्ही दोनों पदों को है| कहीं राज खुल जाने के डर से तो इसकी फ़ाइल जिलाधिकारी से नहीं छुपायी गयी| वर्ष 2010-11 की वार्षिक रिपोर्ट पर जिलाधिकारी के हस्ताक्षर कराये गए थे| उस रिपोर्ट के मुताबिक ग्राम स्तर का पैसा ग्राम सभाओ के खातो में 31-03-2011 ko भेज दिया गया था| मगर जेएनआई ने खुलासा किया था कि इस खाते में 7.10 लाख रुपया 23 मई 2011 तक जिला स्तर पर पड़ा रहा| जाहिर है अगर अप्रैल माह की मासिक रिपोर्ट पर जिलाधिकारी के हस्ताक्षर कराये जाते तो MME के खाते में गड़बड़ी की पोल खुल सकती थी जिसे छुपाने के लिए जिलाधिकारी तक फ़ाइल ही नहीं भेजी गयी|