फर्रुखाबादल(जेएनआई ब्यूरो) जिले में श्रीकृष्ण का जन्माष्टमी 26 अगस्त यानी आज मनाया जा रहा । मंदिरों के साथ ही घर-गर भगवान कृष्ण की झांकियां सजाई जाएंगी। रात में 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्म होते ही महिलाएं सोहर गाएंगी और बधाइयां बजेंगी। इस दौरान पूजन अर्चन होगा। सोमवार को सुबह से ही लोग मंदिर परिसरों और घरों में लोग भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं की आकर्षक झांकियां सजाने में व्यस्त रहे। जन्माष्टमी पर श्रद्धालु व्रत धारण कर रात्रि जागरण करेंगे। जन्माष्टमी का पर्व पूरे जिले में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। घर-घर में भगवान कृष्ण की झांकी सजाई जाती है।
रात को बारह बजे प्रभु के जन्म के बाद उत्सव मनाया जाता है। कई जगहों पर महिलाएं सोहर गाती हैं तथा बाद में भगवान का विशेष पूजन-अर्चन किया जाता है। इस पर्व को लेकर जिले भर में पिछले कई दिनों से व्यापक तैयारी की गई है। सोमवार को लोग घरों एवं पास के मंदिरों में झांकी सजाने में व्यस्त रहे। श्रीकृष्ण की विविध बाल लीलाओं पर आधारित झांकी सजाई गई है। इस प्रकार की झांकियां विभिन्न मंदिरों के साथ ही कई लोगों के घरों में भी सजाई गई है। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर कई जगहों पर रात्रि जागरण का आयोजन किया गया है। श्रीकृष्ण की झांकियां सजाने के लिए सोमवार को पूरे दिन श्रद्धालुओं ने खिलौना, झूला, बांसुरी समेत अन्य सजावट के सामान की खरीदारी की। इसको लेकर दुकानों पर भीड़ लगी रही। जन्माष्टमी को लेकर बच्चों को अधिक उत्साह है। जन्माष्टमी पर्व के मद्देनजर फलों के भाव आसमान पर रहे। व्रती सामानों में भी इजाफा हुआ।
सनातन धर्म में भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को व्रत रहकर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रकृष्ण अष्टमी रोहिणी नक्षत्र में वृष राशि के चंद्रमा में हुआ था। आचार्य सर्वेश कुमार शुक्ला ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ही एक ऐसे विशेष देवता हैं जो दस अवतारों में से सर्व प्रमुख पूर्ण अवतार 16 कलाओं से परिपूर्ण मानते हैं। भगवान श्रीराम में 14 कलाओं का ही समावेश था। भगवान का जन्म द्वापर युग के अंत में हुआ था। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रहने से सभी पापों का नाश, धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष की प्राप्ति के साथ ही अंत में बैकुंठ में भगवान श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से स्थान प्राप्त होता है।