फर्रुखाबाद: पड़ोसियों के द्वारा जूता गोदाम में लगी आग की स सूचना दिये जाने के लगभग बीस मिनट बाद फायरब्रिगेड का जो वाहन दुर्घटना स्थल पर पहुंचा उसके टैंक में चुल्लू भर पानी तक न था। आग बुझाने पहुंचे दमकल कर्मियों ने पहुंचते ही पानी की व्यवस्था के बारे में पूछा तो लागों के होश उड़ गये।
जनपद की अटठारह लाख की आबादी को आग से सुरक्षा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी ओढ़े अग्निशमन विभाग के कारिंदे कितने जिम्मेदार हैं इसका अंदाज उस वक्त लगा जब फतेहगढ़ के जूता व्यापारी के गोदाम में लगी भीषण् आग को बुझाने के लिये पहुंचे दमकल वाहन से उतरे जवानों ने सबसे पहले यह पूछा कि पानी की व्यवस्था कहां से हो सकती है। भीषण आग से जूझ रहे नागरिकों के चेहरे पर दूर से टन_टन अलार्म बजाते वाहन को आते देख् जो राहत के भाव जागे थे वह भृकुटियों में तबदील होने लगे। परंतु मौका इतना नाजुक था और इतनी बड़ी आफत सामने ख्ड़ी थी कि लोगों ने सब्र से काम लेना ही मुनासिब समझा। जैसे तैसे दमकल कर्मियों ने पास से गुजर रहे नाले से पानी खेंच कर काम शुरू किया। स्थानीय लोगों ने फतेहगढ़ में ही रहने वाले नगर पालिका के जलकल अवर अभियंता फरहत खां को फोन कर पानी के टैंकर भेजने का अनुरोध किया, इसी प्रकार छावनी परिषद के टैंकर भी लोगों ने व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर मंगवाये। विद्युत विभाग के अधिकारियों से परिस्थितियों को बयान करते हुए मानवीय आधार पर विद्युत आपूर्ति तत्काल चालू करवाई, जिससे आस पास घरों में लगे सबमरसिबिल पम्प चला कर पानी निकाला जा सके। आग की भीषण्ता और दमकल कर्मियों की असहाय सी स्थिति को देख्कर मौके पर पहुंचे अपर जिलाधिकारी सुशील चंद्र श्रीवास्तव और एसडीएम सदर अनिल ढींगरा ने जिलाधिकारी के माध्यम से जनपद कन्नौज व मैनपूरी के अतिरिक्त स्थानीय सैन्य छावनी से सहयोग की अपील करवाई।
सबसे पहली और कारगर कुमक सेना के एएससी व सिख्लाई की दमकलों की शक्ल में पहुंची। एएससी का ५००० लीटर क्षमता का टैंकर और सिखलाई की अत्याधुनिक दमकल ने पहुंचते ही आग से सीधी लड़ाई शुरू कर दी। इसी बीच विद्युत आपूर्ति भी शुरू हो गयी। जामा मस्जिद और दरगाह सत्तारिया सहित आसपास के आधा दर्जन सबमरसिबिल पम्प चालू हो गये। आग इतनी भीषण् थी कि किसी प्रकार बुझने का नाम नहीं ले रही थी। सबमरसिबिल पम्पों से आने वाला पानी दमकलों की जरूरत के सामने बौना पड़ रहा था। इसी बीच कायमगंज व कन्नौज से भी एक_एक फायर ब्रिगेड वाहन आ गया। सेना और पुलिस के जवानों ने विशाल काय भवन की दीवारे कई स्थानों से काट कर अंदर पानी छोड़ा। आग पर जब कई मोर्चों से एक साथ हमला हुआ तब कही लगभग छह घंटे बाद उस पर काबू पाया जा सका। सर्वाधिक बहादुरी, जीवट और कार्यकुशलता का परिचय सेना के जवानों ने दिखाया। सैन्य अधिकारियों ने भी बीच बीच में मौके का जायजा लेकर जवानों की हौसला अफजाई की।