लखनऊ:केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। इस संदर्भ में पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों की पुलिस को हाई अलर्ट पर रहने के आदेश जारी किए हैं।साथ ही मुस्लिम बाहुल्य जिलों के साथ पहले हिंसा की चपेट में आ चुके जिलों में दंगा निरोधक दस्ते व पीएसी के जवानों को तैनात किया गया है। सीएए के विरोध में वर्ष 2019 में प्रदेश के कई जिलों में हिंसा फैली थी। दिसंबर 2019 में फिरोजाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, रामपुर, वाराणसी, लखनऊ, कानपुर, संभल, बुलंदशहर, अलीगढ़ और बहराइच में हुए हिंसक प्रदर्शनों में 23 लोगों की मौत हुई थी। इन जिलों में हुई हिंसा के संदर्भ में 343 एफआईआर दर्ज की गई थीं। हिंसा फैलाने के आरोप में 840 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इसलिए पुलिस ने इस बार पहले ही इन जिलों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर लिए हैं। इंटरनेट मीडिया और व्हाट्सएप के अलावा टेलीग्राम, फेसबुक, इंस्टाग्राम, फेसबुक मैसेंजर, सिग्नल सहित अन्य मोबाइल एप पर लोगों की गतिविधियों पर भी नजर रखी जा रही है।
डीजीपी प्रशांत कुमार ने बताया कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है। पिछले सप्ताह ही इस संदर्भ में पुलिस ने एक्शन प्लान तैयार कर लिया था।पुलिस किसी को भी प्रदेश की कानून व्यवस्था को हाथ में नहीं लेने देगी। प्रदेश में शांति और निवेश का माहौल है। इसे खराब नहीं होने दिया जाएगा। जहां पर भी गड़बड़ी की आशंका है वहीं पुलिस ने पीएसी की तैनाती कर रखी है। सभी जिलों की पुलिस को हाई अलर्ट पर रहने के निर्देश जारी किए गए हैं। वहीं संवेदनशील स्थानों पर दंगा निरोधक दस्तों के साथ पीएसी की तैनाती के साथ ड्रोन कैमरों से नजर रखने निर्देश दिए गए हैं। सभी धर्म स्थलों पर 24 घंटे पुलिस की निगरानी रखी जा रही है। कहीं भी दीवारों पर आपत्तिजनक पोस्टर या लेखन करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही धर्म गुरुओं के साथ जिला व पुलिस प्रशासन को शांति व्यवस्था को बनाए रखने के लिए संपर्क में रहने के निर्देश दिए गए हैं।डीजीपी ने पुलिस अधिकारियों को पैदल गश्त बढ़ाने के भी निर्देश दिए हैं। सभी सार्वजनिक स्थलों,बस स्टेशन,रेलवे स्टेशनों, सरकारी इमारतों की सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। रमजान के मद्देनजर पुलिस की चौकसी बढ़ाई गई है।