डेस्क:भगवान श्रीराम को विरजमान करने के लिए लगातार विधि-विधान से पूजा की जा रही है। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का आज पांचवा दिन है। आज का दिन इस विधि-विधान के लिए काफी खास है। आज से अस्थायी गर्भगृह में प्रभु के दर्शन नहीं होंगे। अब 23 जनवरी से दोबारा दर्शन आरंभ होगा,लेकिन नवनिर्मित भव्य दिव्य राममंदिर में। वैकल्पिक गर्भगृह में विराजमान रामलला को नवर्निर्मित राममंदिर के गर्भगृह में स्थानांतरित किया जाएगा। इसके लिए स्वर्ण मंडित आधार तैयार किया गया है।रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पहले ही यह घोषणा की थी कि रामलला विराजमान को गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया जाएगा। रामलला विराजमान का विग्रह वही है जो 22-23 दिसंबर 1949 की मध्यरात्रि जन्मभूमि पर प्रकट हुआ था। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने से पहले जन्मभूमि पर भगवान मेक शिफ्ट स्ट्रक्चर में थे।कोर्ट का निर्णय आने के बाद राममंदिर निर्माण के लिए 25 मार्च 2020 को भगवान को अस्थायी गर्भगृह में स्थानांतरित किया गया था। तब से भगवान वहीं श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे थे। शुक्रवार को 17 हजार 224 लोगों ने भगवान का दर्शन किया।
मंदिर के गर्भगृह में विराजित रामलला का विग्रह मन मोह लेने वाला है। 4.24 फीट लंबी व तीन फीट चौड़ी तथा दो सौ किलोग्राम भार की श्यामवर्णी प्रतिमा के शीर्ष भाग में स्वास्तिक, ऊं, चक्र, गदा उत्कीर्ण है। अरुण योगीराज की बनाई इस प्रतिमा के दाईं ओर दशावतार में भगवान मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन व बाईं ओर परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध व कल्कि भगवान हैं। प्रतिमा के बाईं ओर नीचे के भाग में कमल व हनुमानजी की प्रतिमाएं उत्कीर्ण है।
शनिवार को अनुष्ठान का क्रम भगवान गणेश व माता अंबिका के पूजन से आगे बढ़ेगा। हवन- वेद पारायण आदि होगा। प्रात: काल शर्कराधिवास, फलाधिवास होगा। इसके उपरांत 81 कलशों के औषधीय जल से सर्पण का संस्कार होगा। विग्रह को जल अर्पित किया जाना सर्पण संस्कार है। पिंडिकाधिवास, पुष्पाधिवास और सायंकाल आरती के साथ पांचवें दिन अनुष्ठान पूर्ण होगा।