फर्रुखाबाद:(नगर संवाददाता) रामनगरिया में माघ मेले के दौरान मोक्षदायिनी गंगा की पवित्र रेती पर एक महीनें तक अछ्वुत नजारा दिखाई देता है। धर्म और अध्यात्म का यह शहर रंग-बिरंग तंबुओं के रूप में शोभायमान होनें लगा है। एक महीने गंगा तट पर हबन-पूजन का प्रभाव श्रद्धालुओं के आगामी जीवन पर भी पड़ता है। माघ मेले के दौरान कल्पवास से अक्षुण्ण पुण्य प्राप्त होता है।
सांसारिक मनुष्य छल प्रपंच से दूर केवल मां गंगा और देव उपासना में रहते हैं। देश भर के संतों और दूर जिलों से आए कल्पवासियों की आस्था से पूरा क्षेत्र जगमग हो जाता है। श्रद्धालु व संत लगातार मेला क्षेत्र पहुंच कर अपना शिविर दुरुस्त कर रहे हैं। हरदोई, शाहजहांपुर, बरेली, बदायूं, मैनपुरी, एटा, इटावा, कन्नौज आदि जिलों से कल्पवासी पहुंचनें शुरू भी हो गये हैं हैं।
माघ मकरगति रवि जब होई, तीरथ पतिहि आव सब कोई। देव दनुज किन्नर नर श्रेणी, सादर मज्जहि सकल त्रिवेणी।। गोस्वामी तुलसीदास ने माघ माह में कल्पवास की जिस महिमा का वर्णन किया है, वह पांचाल घाट गंगा तट पर माघ पूर्णिमा स्नान से पहले ही
जीवंत होने लगा। माघ मेला रामनगरिया के लिए गंगा की रेती में तंबुओं का शहर बसनें लगा है। सामान्य गृहस्थ यहां तंबुओं में रहकर सांसारिक माया से मुक्त हो वैराग्य जीवन का पालन करेंगे। इस अवधि में काया तो नहीं बदलती, लेकिन उनके अंतर्मन का कायाकल्प जरूर होगा।
पैंटून पुल निर्माण का कार्य हुआ पूरा
मेला रामनगरिया के शुभारम्भ से पूर्व समतलीय करण का कार्य पूर्ण करानें के साथ ही गंगा के ऊपर अस्थाई पैंटून पुल का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है| जिससे पैदल श्रद्धालू गंगा को पार कर मेला में पंहुचेंगे |