धर्म डेस्क : भाई दूज हर साल दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है। ये रक्षाबंधन की तरह ही बेहद खास होता है। इस दिन बहनें भाई की लंबी उम्र के लिए पूजा करती हैं। हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक पर्व भाई दूज देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना
करती हैं। इस शुभ अवसर पर बहनें भाई के माथे पर टीका और हाथ में कलावा यानी रक्षा सूत्र बांधती हैं। भाई भी अपनी बहन को गिफ्ट देते हैं। हालांकि, भाई दूज की तिथि को लेकर लोग असमंजस में हैं। ज्योतिषियों की मानें तो सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य
है। अतः उदया तिथि पर पर्व मनाना शुभ होता है। अगर आप भी भाई दूज की तिथि को लेकर दुविधा में हैं, तो भाई दूज का शुभ मुहूर्त एवं पूजा का सही समय नोट करें।
शुभ मुहूर्त
आचार्य सर्वेश कुमार शुक्ल नें बताया कि पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 14 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट तक है। इसके पश्चात, द्वितीया तिथि शुरू होगी। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 14 नवंबर को 02 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 15 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट तक है। यह पर्व दिन की बेला में मनाया जाता है। अत: 14 नवंबर को दोपहर के समय से बहनें अपने भाई के माथे पर टीका लगा सकती हैं और कलावा बांध सकती हैं। कुल मिलाकर कहें तो सुविधा अनुसार, 14 नवंबर से लेकर 15 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट तक भाई दूज मना सकते हैं।
टीके का शुभ समय
भाई दूज के दिन टीके का शुभ समय दोपहर 01 बजकर 10 मिनट से लेकर 03 बजकर 19 मिनट तक है। इस समय में बहनें पूजा कर भाई की सुख-समृद्धि और लंबी आयु की कामना कर सकती हैं। इस दिन यम द्वितीया भी मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यम देवता अपनी बहन यमुना जी के घर गये थे।
इस दिशा में हो भाई का मुंह
भाई दूज के दिन बहनें तिलक करते समय सही दिशा में बैठे। इस दौरान भाई का मुंह उत्तर या उत्तर-पश्चिम में से किसी एक दिशा में होना चाहिए और बहन का मुख उत्तर-पूर्व या पूर्व में होना चाहिए।
तिलक करने की विधि
भाई दूज के शुभ दिन पर सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। उसके बाद तिलक करने से पहले थाली में रोली, अक्षत और गोला और मिठाई रख लें। फिर मुहूर्त के अनुसार, भाई का तिलक करें। बाद में उसे गोला भी दें। इस दौरान अपने भाई को मनपसंद का भोजन करवाएं। बाद में भाई अपनी बहन से आशीर्वाद लें और उन्हें भेंट दें।
भूलकर भी भाई-बहन न करें ये काम
भाई दूज के दिन किसी भी समय तिलक न करें।
इस दिन भाई और बहन दोनों ही काले रंग के वस्त्र न पहनें
भाई को तिलक करने तक बहनों को निर्जला ही रहना चाहिए।
भाई दूज के दिन भाई-बहन को एक-दूसरे से झूठ नहीं बोलना चाहिए।
इस दिन मांस का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से यम के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है।