लंबित मामलों के तेज निपटारे पर सुप्रीम कोर्ट का निचली अदालतों को निर्देश

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लंबित मामलों को निपटाने और सुनवाई टालने के तरीकों पर अंकुश लगाने के लिए सक्रिय कदम उठाए जाने की तत्काल आवश्यकता है।जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने शुक्रवार को दिए गए आदेश में जिला और ब्लाक स्तर की सभी अदालतों को समन की तामील कराने, लिखित बयान दाखिल करने, दलीलों को पूरा करने, याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार या इन्कार करने की रिकार्डिंग और मामलों के त्वरित निपटारे आदि के निर्देश दिए।
5 साल से अधिक समय से लंबित सिविल मामलों की सुनवाई पर SC की तेजी
पीठ ने पांच साल से अधिक समय से लंबित पुराने मामलों की लगातार निगरानी के लिए संबंधित राज्यों के मुख्य न्यायाधीशों द्वारा समितियों के गठन का भी निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि लोग न्याय की आस में अपने वाद दायर करते हैं, इसलिए सभी हितधारकों को यह सुनिश्चित करने की बड़ी जिम्मेदारी है कि न्याय मिलने में देरी के कारण इस प्रणाली में लोगों का विश्वास कम न हो।
‘भारत में लगभग छह प्रतिशत आबादी मुकदमेबाजी में उलझी हुई’
पीठ ने कहा- ‘न केवल सभी स्तरों पर लंबित मामलों को निपटारे के लिए सक्रिय कदम उठाने की तत्काल आवश्यकता है, बल्कि त्वरित न्याय चाहने वाले वादियों की आकांक्षाओं को पूरा करने और सुनवाई टालने के जिम्मेदार तरीकों पर अंकुश लगाने के लिए सभी हितधारकों द्वारा आत्मनिरीक्षण करने की भी जरूरत है।’ पीठ ने अपने आदेश में कहा कि इस बात पर गौर करना आवश्यक है कि भारत में लगभग छह प्रतिशत आबादी मुकदमेबाजी में उलझी हुई है, ऐसे में अदालतों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
जिला और ब्लाक स्तर पर सभी अदालतों को दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब दक्षता आधुनिक सभ्यता और जीवन के सभी क्षेत्रों की पहचान बन गई है तो समय अवधि को कम करके न्याय प्रदान करने की गति को तेज करने की तत्काल जरूरत है। कोर्ट ने जिला और ब्लाक स्तर पर सभी अदालतों को नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश-5, नियम (2) के तहत निर्धारित समयबद्ध तरीके से समन की तामील कराना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
43 साल पहले शुरू हुआ यह मामला अब भी जारी
आदेश में कहा गया है कि मुकदमे के बाद मौखिक दलीलें तुरंत और लगातार सुनी जाएंगी और निर्धारित अवधि के भीतर फैसला सुनाया जाएगा। न्यायालय ने यह आदेश यशपाल जैन की याचिका पर दिया, जिन्होंने एक दीवानी मुकदमे में उत्तराखंड हाई कोर्ट के 2019 के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। वहां एक स्थानीय अदालत में 43 साल पहले शुरू हुआ यह मामला अब भी जारी है। पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश को रद कर दिया और निचली अदालत से जैन की याचिका पर छह महीने में फैसला करने को कहा।