फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) विकास खंड कमालगंज के खंड प्रेरक नें फांसी लगानें से पहले पांच पन्ने का सुसाइड नोट लिखा | जिसमे उसनें खुद पर दर्ज धोखाधड़ी के मुकदमें में निर्दोष बताया| वहीं मुकदमें में गिरफ्तारी के भय से फांसी लगा ली | खंड प्रेरक नें क्या लिखा चार पन्ने के सुसाइड नोट में जाने-
खंड प्रेरक नें सोसाइड नोट में पहले पन्ने में बीडीओ कमालगंज आलोक मौर्य को लिखे सुसाइट नोट में लिखा कि महोदय सविनय निवेदन है कि आप के द्वारा जो शिकायत की गयी है उसमे मेरी क्या भूमिका थी? मैंने ही आपको अवगत कराया था फिर भी मुझे ही आप नें फंसा दिया| सर आप को अगर अवगत ना कराता तो आपको भी मालूम नही चलता| पर आप नें मुझे ही मोहरा बना दिया| चलो सर आपनें व एडीओ पंचायत नें मुझे किसी भी स्थिति में नही रखा| अब तो मै किसी के सामने नजर भी नही मिला सकता| मैंने हमेशा इज्जत कमाई वो भी आप के द्वारा दूषित हो गयी| अब क्या कहें सर जी अब तो बस एक ही……….सहारा है| मै खुद को निर्दोष साबित नही कर पाऊगा और आप होनें नही देंगे, सो जीने का क्या फायदा| आपका प्रदीप|
अगले पेज में लिखा कि सभी को प्रणाम- आज मिजो भी कदम उठा रहा हूँ बो है ओ गलत पर यह करनें को मै मजबूर हूँ| मैनें अपने कार्यकाल में यैसा कोई कार्य नही किया जिससे मेरे परिबार की छवि खराब हो| पर मेरे भाग्य में शायद ये ही लिखा था| आरती तुम हमेशा मेरे साथ थी और मेरे जानें के बाद भी हमेशा साथ रहोगी| पर आज में जिस दोहराये पर खड़ा हूँ, उड़ दोराहे पर मैं कमजोर हो गया हूँ| मेरे ऊपर जो भी आरोप लगे हैं वो सब गलत हैं| मेरे द्वारा इस प्रकार का कोई भी कार्य नही किया गया पर मुझे फंसा दिया गया है| मेरे उच्च अधिकारियों नें मैंने ही वीडियो साहब को बताया आलोक दुबे को ही मैनें इसकी जानकारी दी पर उन्होंने हो मुझे फंसा दिया| जब अपनों नें ही साथ नही दिया तो आरती बताओं मैं किस पर भरोसा करू| वीडियो साहब को बार-बार कहा पर और उसकी जानकारी भी की मैं सही हूँ पर उन्होंने भी मेरा साथ नही दिया| अब बताओं आरती जब जो जानकार भी साथ ना दे तो मेरा बजूद हो बेकार है| पर तुम बिल्कुल चिंता मत करना मैं तुन्हें परेशान नही देख सकता| बस कुछ दिन परेशानी होगी बस सब सही हो जायेगा| पर मेरा सपना जो है उसे जरुर पूरा करना| मेरे ऊपर जो कलंक लगा है उसे अब मेरे लड़के पर नही आना चाहिए | उसने जो मन में ठाना है उसे परिवार के भाई पूरा करायेंगे| बेटा आपका पापा बेकसूर है| उस पर कभी शक मत करना| अपना फर्ज समझ कर अपनी मम्मी का सपना पूरा करना| मैं रहूँ या ना रहूँ मेरा आशीर्वाद आपके साथ हमेश रहेगा| मम्मी का ख्याल रखना| बस अब कुछ नही कहना| इसकी जिम्मेदारी मेरी है | बस सब खुश रहो | I LOVE YOU MY आरती व MY SON बंटी ///
तुम्हारे पापा बेकसूर हैं!
आगे सुसाइड नोट में खंड प्रेरक प्रदीप कुमार सागर नें लिखा कि बच्चो अब आप की परीक्षा का समय है| मै आज हूँ कल न हुआ तब आप को क्या करना है|
1. पहली बात हमेशा याद रखना कि तुम्हारे पापा बेकसूर हैं| उन्होंने कभी गलत नही किया| जो आरोप आपके पापा पर लगायें गये हैं वो सब वेबुनियाद हैं | उस स्थिति में आप को बहुत धैर्य से कार्य करना है |
2. बीडीओ व एडीओ और अलोक दुबे द्वारा लगाये गये मेरे ऊपर सारे आरोप गलत है| ये मै भगवान को साक्षी मानकर कह रहा हूँ |
3.आप दोनों अपनी मम्मी का बहुत ध्यान रखना| खास तौर पर यश तुमको, क्योंकि अब तुम्हारे ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी आ रही है| यश तुमको एक नही दो लोगों का ध्यान रखना है| एक अपनी मम्मी व दूसरी सबसे बड़ी जिम्मेदारी पलक की है | मैं आज मजबूर हूँ जो तुम लोगों को अकेला छोड़कर जा रहा हूँ|
4. कभी अपने आप को अकेला मत समझना| मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा |
5. कभी अपने आपको गलत संगति में मत लाना|
6.पुलिस से हमेशा दूर रहना|
7.और क्या कहूँ तुम अब खुद इतने समझकर हो गये हो मेरा समझाना तुमको समझाना है| पर मैं आज भी कह रहा हूँ कि मैं गलत नही हूँ, मुझे तो एक चक्रब्यूह में फंसा दिया गया|
8. पलक तुम अपनी मम्मी का पूरा ख्याल रखना | ये मुझसे वादा करो| तुम्हारा पापा तुम्हारे साथ हमेशा रहेगा | बेटा अपना फर्ज निभाना| जिस काम के लिए मम्मी नें तुम्हे भेजा है उसे पूर्ण करके दिखाना कि मेरे पापा सही थे| तुम्हारा पापा प्रदीप कुमार सागर