कार्यशाला में बच्चे निखार रहे हुनर

FARRUKHABAD NEWS

फर्रुखाबाद:(नगर संवाददाता) संस्कार भारती की कला संस्कृति ग्रीष्मावकाश कार्यशाला में विभिन्न विधाओं का प्रशिक्षण देकर बच्चों को हुनर मंद बनाया जा रहा है ।
नगर के सेनापति स्ट्रीट स्थित सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय में आयोजित ग्रीष्मावकाश कार्यशाला में प्रति दिन कथक,ढोलक,सौंदर्य कला,मेंहदी सिलाई नृत्य आदि का प्रशिक्षण देकर बच्चों को हुनरमंद बनाया जा रहा है, साथ ही समाज और संस्कृति के प्रति जागरूक किया जा रहा है । कार्यशाला में प्रशिक्षिकाओं द्वारा प्रतिदिन भारतीय पारंपरिक रीति रिवाज के अनुसार चली आ रही,ढोलक,कथक,मेंहदी,सिलाई,नृत्य चित्रकला,सौंदर्य कला का प्रशिक्षण दिया जा रहा है । इसी के साथ कार्यशाला में नि:शुल्क रंगोली प्रशिक्षण दिया जा रहा है ।
ढोलक का प्रशिक्षण दे रहीं। किरण त्रिवेदी का कहना है कि ढोलक एक वाद्य यंत्र है । प्राचीन काल से ही घरों में खुशी होने पर,शुभ अवसरों पर ढोलक बजाकर खुशी मनाए जाने का रिवाज है। खास तौर पर बेटियों को ढोलक का प्रशिक्षण अवश्य लेना चाहिए।
मेहंदी का प्रशिक्षण दे रही प्रिया वर्मा का कहना है कि मेंहदी एक कला है,शुभ अवसरों पर इसका अधिक महत्व माना जाता है छात्राएं इसे सीखकर खुद को आत्मनिर्भर बना सकती हैं । बड़े बड़े उत्सवों शादी विवाह में मेंहदी की मांग है । चित्रकला प्रशिक्षण दे रहीं। नेहा सक्सेना का कहना है एक चित्र हजारों शब्दों के बराबर होता है,कलाकर चित्र के माध्यम से सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार है उसे प्रदर्शित करता है।
हर चित्रकार चित्र बनाकर अपनी आत्माभिव्यक्ति को समाज के सामने प्रदर्शित करता है । कार्यशाला की संयोजिका साधना श्रीवास्तव द्वारा छात्राओं को सिलाई का प्रशिक्षण देकर स्वावलम्बी बनाया जा रहा है साथ ही कार्यशाला में छात्राओं को निशुल्क रंगोली का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कार्यशाला में छात्राएं बड़े उत्साह के साथ विधाओं का प्रशिक्षण ले रहीं हैं। रोजाना समाज सेवी और दिवस अधिकारी मौजूद रहते है ।