लखनऊ: उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज ओबीसी आरक्षण की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन के अंदर में चुनाव के लिए नोटिफिकेशन जारी करने के निर्देश दिए हैं।
जानिए निकाय चुनाव का मामला क्यों पहुचा सुप्रीम कोर्ट
दरअसल, स्थानीय निकाय चुनाव में ओवीसी आरक्षण को इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ ने समाप्त करते हुए आदेश दिया कि नियत समय पर सरकार चुनाव कराएं। कोर्ट ने सभी ओबीसी सीटों को जनरल मानते हुए चुनाव कराने का आदेश दिया। वहीं कोर्ट ने सरकार को निर्देशित करते हुए कहा कि ट्रिपल टेस्ट (पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की कठोर जांच ) के बाद ही सरकार ओबीसी को रिजर्वेशन का लाभ दे सकती है। उसके बाद विपक्ष ने सरकार को ओबीसी विरोधी होने का आरोप लगया। हाई कोर्ट के फैसले को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती थी।
हाई कोर्ट के आदेश पर ट्रिपल टेस्ट कराने का सरकार ने लिया फैसला
कोर्ट के आदेश के दो दिन बाद ही इस मामले में पिछड़ा वर्ग आयोग का सरकार ने गठन कर दिया। सरकार ने अपने आदेश में कहा कि संविधान में दिए गए अधिकारों के तहर ओबीसी को आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए सरकार ने पांच सदस्यी टीम का गठन कर दिया। जिसमें न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया। टीम सर्वे की रिपोर्ट तीन महीने के बाद अपनी रिपोर्ट दी। उसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में सौंपा उसके बाद कोर्ट ने रिपोर्ट को सही मानते हुए निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया है।
ये है ट्रिपल टेस्ट का नियम
1- राज्य के भीतर स्थानीय निकायों के रूप में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की कठोर जांच करने के लिए एक आयोग की स्थापना।
2- आयोग की सिफारिशों के मुताबिक स्थानीय निकाय-वार प्रावधान किए जाने के लिए आवश्यक आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना, ताकि अधिकता का भ्रम न हो।
3- किसी भी मामले में ऐसा आरक्षण अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50% से अधिक नहीं होगा।
इस प्रकार है आरक्षण की व्यवस्था
दरअसल, भारत सरकार ओवीसी वर्ग को उनके सामाजिक और शैक्षिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए रोजगार और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 27% आरक्षण के हकदार हैं। निकाय चुनाव में ओवीसी उम्मीदवारों के लिए 27% सीटें रिजर्व करने का ऐलान कर चुका है। वर्तमान में 15% सीटें एससी, 20% ST सीटें रिजर्व हैं। अब उत्तर प्रदेश सरकार नए सर्वे के बाद ही निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण का लाभ देगी।