सुब्रमण्यम भारती की रचनाओं ने जगायी देश प्रेम की अलख

FARRUKHABAD NEWS

फर्रुखाबाद:(राजेपुर संवाददाता) राजकीय बालिका इंटर कालेज में ‘एक भारत श्रेठ भारत’ के तहत महाकवि सुब्रमण्यम भारती की जयंती पर भारतीय भाषा उत्सव का आयोजन किया गया| जिसमे लेखन, निबन्ध व पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया|
प्रधानाचार्य ऋचा यादव ने कहा कि सुब्रमण्यम भारती (1882-1921) ने मात्र दो दशकों के साहित्यिक जीवन में कवि, गद्यकार, पत्रकार और देशभक्त के रूप में तमिल साहित्य ही नहीं, तमिल लोक-मानस में भी एक नई चेतना का प्रसार किया। मात्र पांच वर्ष की अवस्था में वे अपनी मां की स्नेहछाया से वंचित हो गए। चूंकि उनके पिता अनुशासनप्रिय थे, लिहाजा बालक सुब्रमण्यम को अपने समवयस्क बालकों से अधिक घुलने-मिलने की आजादी नहीं थी। लेकिन उन्होंने अपने अकेलेपन को अपने भीतर की खोज में बदल दिया। एकांत के उन्हीं दिनों में कविता के प्रति उनके पहले प्यार का अंकुर फूटा। पिता की नजरों से दूर रहकर वे मंदिरों के कोनों में छिपकर तमिल साहित्य का अध्ययन करते रहे। उन्होंने कंबन कृत तमिल रामायण रामावतारम का भी अध्ययन किया। पढ़ने के प्रति उनकी रुचि तो बहुत थी, पर उनका मन पाठ्य पुस्तकों में कम, साहित्य में अधिक लगता था। अंतत: पिता ने उनको अंग्रेजी पढ़ने के लिए तिरुनेलवेली भेजा। लेकिन दसवीं की परीक्षा में वे फेल हो गए। स्थानीय रियासत की सेवा में रखवाने के अलावा उनके पिता के पास अब कोई विकल्प न था। चूंकि वे तमिल और अंग्रेजी के जानकार थे, और उस रियासत का राजा प्रतिभावानों की कद्र करता था, इसलिए उसने सुब्रमण्यम का स्वागत किया। उसी समय एक ऐसी घटना घटी जिसने उनकी ओर विद्वानों का ध्यान आकृष्ट किया। एक विरोधी ने दसवीं में फेल होने का प्रसंग छेड़कर उनको भरी सभा में अपमानित करने की कोशिश की। सुब्रमण्यम ने आरोप लगानेवाले को वाद-विवाद में मुकाबला करने की चुनौती दी। कुछ लोग उनकी प्रतिभा को भांप चुके थे। वहां वाद-विवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उस सभा में सुब्रमण्यम के वक्तव्य को सुनकर सभी स्तब्ध रह गए। वहां उपस्थित विद्व-मंडली ने उनको भारती की उपाधि प्रदान की। इसके बाद से वे सुब्रमण्यम भारती के नाम से प्रसिद्ध हुए।
कालेज में आयोजित प्रतियोगिता में विजयी प्रतिभागियों नें उत्साहवर्धन किया गया| रिया राजपूत नें भी अपने विचार व्यक्त किये| छात्राओं नें रैली निकाल कर जागरूक भी किया| अनुसुईया दीक्षित, श्वेता देवी, दिनेश चंद्र आदि रहे|