फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) बाट जे पूछेला बटोहिया, ई दल कहवां जाए, तूं आन्हर रे बटोहिया ई दल सूरज बाबा के जाए…, कोपि-कोपि बोलेली छठ माता सुनुए सेवक लोग… ले ले अईह हो भईया गेहूं के मोटरिया…, उग हो सुरूज देव…, कांचे ही बांसा के बहंगिया बहंगी लचकत जाए… व केरवा पे फरेला घवध से ओ पे सुगा मंडराय… जैसे गीतों को गाते हुए शहर के पांचाल घाट पर सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया। व्रती महिलाओं नें अपना व्रत खोला और महापर्व का समापन किया|
रात का अंधेरा छाया ही हुआ था कि पांचाल घाट पर हलचल शुरू होने लगीं। छठ पूजा में सोमवार को सुबह उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सूर्याेदय से पहले ही लोग गंगा किनारे जुटने लगे थे। सुबह करीब 5.30 बजे सूर्य की किरण नजर आने पर अर्घ्य देकर 36 घंटे लंबे उपवास को सम्पन्न किया गया। महिलाओं ने चौकी को गन्ने और केले के पत्तों से सजाया। दोउरा (पूजन सामग्री और फल की टोकरी) रखकर सूर्य की आराधना की। सूर्याेदय होते ही पत्ती लगे गन्ने, शकरकंदी, सुथनी, पान-सुपारी, हल्दी, मूली, अदरक का हरा पौधा, बड़ा मीठा नींबू, शरीफा, केला, नाशपाती, पानी वाला नारियल, मिठाई, गुड़, गेहूं, चावल के आटे के लड्डू, ठेकुआ, चावल, सिंदूर, दीपक, शहद और धूप से जल में खड़े होकर अर्घ्य दिया गया और परिवार की सुख समृद्धि व खुशहाली की कामना के साथ भक्तिभाव से आरती उतारी। इसके साथ ही लोकआस्था-सूर्याेपासना का चार दिवसीय महापर्व की इतिश्री हो गयी|
पूर्वांचल विकास समिति के अध्यक्ष केदार साह, संयोजक डॉ० शमीम अहमद खां, शोभा देवी, रीना सिंह, सीओ अमृतपुर रविन्द्र नाथ राय, संतोष कटियार, नौशाद आलम, मुकेश दास, अनीता भट्ट, उर्मिला भट्ट आदि रहे |