लखनऊ:विधानसभा चुनाव में करारी हार और फिर लोकसभा सीटों के उपचुनाव के बाद बसपा संगठन में किए गए फेरबदल में एक बार फिर बदलाव किया गया है। बसपा प्रमुख मायावती ने अब नगरीय निकाय चुनाव के मद्देनजर पार्टी संगठन में पुनर्गठन कर वरिष्ठ पदाधिकारियों को नए सिरे से जिम्मेदारी सौंपी है।
निकाय चुनाव पर मायावती का फोकस
- संगठन में फेरबदल के संबंध में पार्टी द्वारा अधिकृत तौर पर तो कोई जानकारी नहीं दी गई है लेकिन सूत्रों का कहना है कि अब लखनऊ, कानपुर और मेरठ मंडल के दो-दो जिलों को अलग-अलग करते हुए दो-दो पदाधिकारियों को लगाया गया है।
- इसी तरह दो-दो मंडलों के अब जोन बनाए गए हैं। मिर्जापुर मंडल को अकेले रखा गया है। गौरतलब है कि अब तक तीन-तीन मंडलों के छह सेक्टर बनाकर दो-दो वरिष्ठ नेताओ को उनकी जिम्मेदारी दी गई थी।
- पार्टी सूत्रों का कहना है कि सेक्टर, मंडल को बांटकर ज्यादा पदाधिकारी इसलिए लगाए गए हैं ताकि वे अपने-अपने क्षेत्र में ज्यादा समय दे सकें। दो-दो जिले होने पर संबंधित पदाधिकारी वहां की नगरीय निकायों पर अधिक फोकस कर सकेगा।
- मुनकाद अली को आगरा व अलीगढ़, नौशाद अली को कानपुर व प्रयागराज, वाराणसी व आजमगढ़ डा. विजय प्रताप को, दिनेश चंद्रा को अयोध्या व देवीपाटन, इंदलराम को गोरखपुर, सुधीर भारती को बस्ती मंडल सौंपा गया है।
- मायावती ने शनिवार को पदाधिकारियों की बैठक में कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुसलिम समाज को बसपा से जोड़ने का दायित्व हाल ही में पार्टी में शामिल हुए इमरान मसूद को सौंपा गया है।
बीएसपी को बीजेपी का विकल्प बनाने पर मायावती का जोर - पूर्व मुख्यमंत्री व बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को पार्टी पदाधिकारियों के सम्मेलन में कहा था कि पार्टी निकाय चुनाव पूरे दम-खम से लड़ेगी। सर्व समाज में पार्टी के जनाधार को तेजी से बढ़ाकर बीजेपी का सही व सार्थक विकल्प बनने के लिए पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ कार्यकर्ता जुटें। उन्होंने पार्टी की परम्परा के अनुसार छोटी-छोटी कैडर बैठकें करने पर भी जोर दिया। बसपा प्रमुख ने निकाय चुनाव के मद्देनजर 30 जून से चल रहे सदस्यता अभियान को भी फिलहाल स्थगित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को अगाह किया कि विपक्षी पार्टियां तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर बसपा को कमजोर बनाने की कोशिश में जुटी हैं। ऐसे में लोगों को वास्तविकता बताकर सजग व साधान करते रहना होगा ताकि पार्टी व मूवमेंट को इसके नुकसान से बचाया जा सके।
- मायावती बोलीं अच्छे दिन की चाह में जनता खुद को ठगा महसूस कर रही
- पार्टी के जनाधार को बढ़ाने तथा दूसरे मिशनरी कार्यों के लिए पार्टी की परंपरा के अनुसार छोटी-छोटी कैडर मीटिंग करने पर ज्यादा जोर दिया जाए। मायावती ने कहा कि बीएससी बड़े-बड़े पूंजीपतियों की पार्टी नहीं है। ऐसे में हमें खर्चीले फैशन से बचना होगा। आजकल जबरदस्त महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि के कारण तंगी के हालात में ऐसा करना त्रस्त युवाओं व मिडिल क्लास जनता को भी बहुत बुरा लगता है। वह इन्हें मुंह चिढ़ाने जैसा ही मानते हैं। भाजपा को निशाने पर लेते हुए मायावती ने कहा कि बीजेपी को सत्ता सौंपकर अच्छे दिन आने की राह देख रही जनता अपने आपको ठगा महसूस कर रही है और वह इससे काफी दुखी है। बीजेपी की सरकार में जनकल्याण की बजाए गरीब विरोधी कार्यों व कोरी बयानबाजी पर ही समय बर्बाद किया जा रहा है। शहरी व ग्रामीण जनता दोनों की स्थिति बहुत खराब है। संसाधनों की बर्बादी के कारण महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी व परिवार छोड़कर पलायन की विवशता जैसी समस्याओं का अंबार गला है।