फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) पुरखों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए एक पखवाड़े तक चलने वाला पितृपक्ष शनिवार से शुरू हो गया। पहले दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगाघाटों पर पहुंचकर सपरिवार गंगा स्नान कर तर्पण किया। श्रद्धालुओं ने पतित पावनी गंगा में स्नान कर अपने दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अर्चना की। गंगा तट पर हर-हर गंगे के जयघोष चलते रहे| शनिवार को लोगों ने विधिविधान से श्राद्ध पूजा आयोजित की। ब्राह्मणों एवं साधुओं को भोज कराया दान दक्षिणा दी। पांचाल घाट पर विद्वान आचार्य प्रदीप कुमार शुक्ला ने वैदिक रीति रिवाज से सामूहिक जलदान तर्पण कर्मकांड व श्राद्ध कर्म संपन्न कराया। आचार्य प्रदीप शुक्ला नें बताया कि श्राद्ध पर्व पितरों के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का एक उपागम है। यह हमारी अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व है। यह मात्र कर्मकांड नहीं है। गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि कृतज्ञता व्यक्त करने से विश्वास व श्रद्धा हमें उत्साह व आनंद देती है। हम संकटों से मुक्त होकर नई ऊर्जा से काम करने लगते हैं। श्राद्ध इसी ऊर्जा को पाने का पर्व है। आचार्य सर्वेश कुमार शुक्ला नें बताया कि पितृ पक्ष में हमारे पूर्वजों की आत्मा हमारे निवास स्थल पर आती है। श्रद्धा से उनका अन्न, प्रसाद या तर्पण से स्वागत करना, उन्हें परम तृष्टि देना उनके प्रति अपनी श्रद्धा है। वह आशीर्वाद में हमें अपनी उन्नति, वैभव-समृद्धि और परिवार में शांति और भाईचारे की समरसता बनी रहने का प्रसाद देते हैं।