फर्रुखाबादः जिलापंचायत राज अधिकारी के आहरण वितरण के अधिकारों को लेकर कोषागार और डीपीआरओ के बीच कागजी जंग अब लंबी खिचने लगी है। विवाद से संबंधित पत्रावली ट्रेजरी से विकास भवन के बीच शटल काक बनी हुई है। परंतु इस रार में अंबेडकर ग्रामों के विकास के लिये आया लगभग 5 करोड़ का बजट सरकारी खातों में डंप पड़ा है। मजे की बात है कि यदि शीघ्र विरष्ठ अधिकारियों ने कोई हस्तक्षेप न किया तो यह विवाद और लंबा खिंचने की संभावना है।
विदित है कि विगत माह जब जिला पंचायतराज अधिकारी इंद्रपाल सिंह यादव ने अपने हस्ताक्षर प्रमाणित कर कोषागार को भेजे थे, तबा ही वरिष्ठ कोषाधिकारी श्रीनिवास शुक्ला ने श्री यादव को पत्र लिखकर उनके राजपत्रितत अधिकारी होने के विषय में स्पष्टीकरण मांगा था। इसके जवाब में डीपीआरओ श्री यादव ने कोषागार को भेजे पत्र में कहा हैं कि उनकी प्रोन्नति जिला पंचायतराज अधिकारी के पद पर की जा चुकी है। इससे पूर्व जनपद फिरोजाबाद में तैनाती के दौरान भी वह आहरण वितरण का कार्य देखते रहे हैं। अपने पत्र में श्री यादव ने यहर भी उल्लेख किया है कि इससे पूर्व भी जनपद में तैनात रहे अन्य अधिकरियों के पास भी आहरण वितरण अधिकार रहे हैं। ऐसे में उनके हस्ताक्षर से जारी बिलों के भुगतान में विलंब न किया जाये। जबकि कोषागार की आपत्ति यह है कि एक गैर राजपत्रित अधिकारी के हस्ताक्षर से पारित बिलों का आहरण वित्तीय अनियमितता है।
वर्तमान में अंबेडकर ग्रामों में केसी ड्रेन नाली व सीसी रोड के निर्माण का 2 करोड़ 39 हजार, राज्य वित्त आयोग का 2 कोड़ 73 लाख 90 हजार और सफाई कर्मियों व अन्य स्टाफ के वेतन का लगभग 48 लाख रुपये का बजट सरकारी खातों में डंप पड़ा है जो इस कागजी पत्राचार के कारण फंसा पड़ा है।