सीमा से सैनिक ने भेजी वंदना को सपनों की सौगात

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फर्रुखाबादः अधिकारियों और नेताओं के सामने अखबारों में फोटो खिंचाने के शौकीन स्थानीय धन्नासेठों के कान पर तो जूं नहीं रेंगी परंतु जम्मू में सीमा पर तैनात सिपाही का कलेजा वंदना की सूनी आंखों की आंच से जरूर पिघल गया। कायमगंज के ग्रमा रायपुर में मानसिंह की बेटी वंदना की रविवार को बारात आने को है। दो दिन पूर्व घर में आग लगने के कारण वंदना के अरमानों पर मानों पानी ही फेर दिया था। घटना की खबर जएनआई पर पढ़ने के बाद जनपद के ग्राम नगला कलार निवासी नायब सूबेदार राजेश कुमार वर्मा ने फोन पर ही अपने पुत्र को निर्देश देकर वंदना कि पिता की मदद के लिये कायमगंज भेज दिया।

जेएनआई की खबर पढ़कर पसीजा जम्मू मे तैनात सिपाही का कलेजा

…….. दया और करुणा के लिये सिर्फ दिल चाहिये होता है, दौलत जरूरी नहीं होती। आखिर यह 158 टीए बटालियन के नायब सूवेदार राजेश सिंह ने साबित कर दिया। कायमगंज के ग्रमा रायपुर खास के मानसिंह पुत्र मटरू के घर में 5 मई को एक चिंगारी ने सारी गृहस्ती ही राख कर दी थी। इसी के साथ उसकी बेटी वंदना के भी अरमानों की दुनिया मानो उजड़ सी गयी थी। वंदना की बारात रविवार को आनी थी। दहेज का सारा सामान और घर में रखी नगदी भी भीषण आग की भेंट चढ़ गयी थी। घटना की खबर जेएनआई ने अपनी वेबसाइट पर प्रमुखता से प्रकाशित की थी। दरियादिली और परोपकार का ढिंडोरा पीटने वाले स्थानीय धन्नासेठ तो प्रकरण में अखबारों में फोटो छप पाने की संभावना कम देख चुप बैठ गये। परंतु जम्मू सीमा पर तैनात जनपद के ही निवासी नायब सूबेदा राजेश वर्मा ने जब अपने मोबाइल पर यह समाचार पढ़ा तो उनका दिल पसीज गया। उन्होंने अपने पैतृक ग्राम नगला कलार फोन कर अपने पुत्र आशीष को वंदना की शादी के लिये अपनी सामर्थ्य भर आर्थिक मदद लेकर कायमगंज के ग्राम रायपुर खास मान सिंह के पास भेजा। मान सिंह भी खुद्दार व्यक्ति है उसने नगद पैसा लेने के स्थान पर द्वारचार के लिये आवश्यक बर्तन स्वयं खरिदवाने की बात कही। आशीष ने बंदना के भाई के साथ बाजार जाकर जरूरी बर्तन दिलवा दियें।

………….बात राजेश की मदद की मात्रा नहीं उस सैनिक के जज्बे की है जिसने गरीब की जरूरत में आगे बढ़कर मदद करने का साहस दिखाया। यह एक मिसाल भी है उन सामर्थ्यवान धन्नासेठों के लिये जो अधिकारियों और बड़े नेताओं के साथ मात्र मीडिया में फोटो छपवाने के उद्देश्य से झोली खोल देते हैं, परंतु जरूरतमंद के दर्द की आवाज उनके कानों तक मुश्किल से ही पहुंचती है। इस सैनिक के उदाहरण से उम्मीद है कि कुछ और लोग भी आगे आकर न केवल वंदना के परिवार की मदद करेंगे, इस प्रकार की दैवीय त्रासदी से गुजरने वाले अन्य लोगों की भी मदद को सामने आयेंगें।

एक चिंगारी से वंदना के अरमानों की दुनिया राख