फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) केन्द्रीय कारागार फतेहगढ़ में चल रही सात दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन में भी श्रोताओं नें भक्ति की गंगा में जमकर गोते लगाये|
कथा में श्री कृष्ण कुंज गौ सेवा ट्रस्ट गाजियाबाद के कथाव्यास राघवेन्द्राचार्य जी महाराज एवं उनके सहयोगी आचार्य अभिमन्यु पाठक एवं अरूण कुमार गौरक्षक द्वारा वैदिक मत्रोंच्चार एवं पूजन अर्चन किया गया। वरिष्ठ जेल अधीक्षक प्रमोद कुमार शुक्ल द्वारा श्रीरामजी एवं श्रीरामचरित मानस की आरती के पश्चात द्वितीय दिवस की कथा प्रारम्भ की गई। कथाव्यास राघवेन्द्राचार्य जी महाराज द्वारा बताया गया कि सनातनी परम्परा में ब्रम्ह एवं धर्म का निर्णय शास्त्र करता है, धर्म क्या है यह शास्त्र बताता है, इसलिए शास्त्र को प्रमाणिक माना गया है। श्रीराम चरित मानस रूपी शास्त्र का श्रवण तत्काल फल प्रदान करने वाला शास्त्र है। प्रथम पाली में आचार्य द्वारा भारद्वाज-याज्ञवल्क्य संवाद, सती का मोह एवं उनके द्वारा प्रभु श्री राम की परीक्षा लेने, दक्ष यज्ञ आदि कथाओं का वर्णन किया गया।
सायंकाल की कथा में आचार्य ने शिव विवाह, नारद मोह, एवं उनके द्वारा श्री हरि को श्राप दिये जाने, जलंधर दैत्य, राजाप्रताप भानु की कथा एवं महाराज मनु एवं शतरूपा के 60 हजार वर्ष तक तप करने से सम्बन्धित प्रसंगो का वर्णन किया गया। आचार्य ने कहा कि ’’राम जनम के हेतु अनेका’’। प्रभु श्री राम के अवतरित होने के हेतु के बारे में बताते हुए कहा गया कि भगवान श्रीराम का अवतरण रावण व अन्य राक्षसों के संहार के लिए नही हुआ था। क्योंकि श्री राम चरित मानस में कहा गया है कि ’’भृकुटि विलास सृष्टि लय होई’’ अतः दुष्टों के संहार के लिए सर्व समर्थ प्रभु को जन्म लेने की आवश्यकता नही है। प्रभु श्री राम तो माता कौशल्या, केवट, सबरी, अहिल्या एवं जटायु जैसे भक्तों के उद्धार हेतु अवतरित होते है। कारापाल बद्री प्रसाद, उपकारापाल शेष नाथ यादव, जयदीप त्रिवेदी, योग प्रशिक्षक राम कृपाल मिश्र आदि रहे|