फर्रुखाबाद: मंगलवार को एआरटीओ में छापे के दौरान एसडीएम चंद्रप्रकाश उपाध्याय और सहायक लेखाधिकारे बेसिक शिक्षा साहित्य कटियार एक सरकारी कार्यालय को बनिये की तरह चलता देख कर हैरान रह गए। पत्रावलियों का रखरखाव व प्राप्ति रजिस्टर न होने पर भी उन्होंने नाराजगी जतायी।
सरकारी अभिलेखों की प्रमाणिकता सदिग्ध दिखी
जांच में एसडीएम और लेखाधिकारी खुद हैरान
जिलाधिकारी के निर्देश पर विगत १५ अप्रैल को एसडीएम चंद्रप्रकाश उपाध्याय ने छापा मार कर अनेक अनियमितताएं पकड़ी थीं| डीएम ने तीन दिन में जांच पूर्ण करने के निर्देश दिए थे| श्री उपाध्याय व श्री कटियार मंगलवार दोपहर एआरटीओ पहुंचे। उन्होंने वाहन पंजीयन पत्रावलियों की जांच कर कर्मचारियों से पूछताछ की। उन्होंने वाहन पंजीयन की नियमावली पूछकर पत्रावलियों की रिसीविंग पंजिका न होने पर नाराजगी जताई की। लिपिक अजय सिंह व मनोज शर्मा से उन्होंने पत्रावलियां मंगाकर जांच करने के बाद विभिन्न मामलों की जानकारी मांगी। जांच के दौरान प्रस्तुत रजिस्टर पर न तो प्रष्ठ संख्या अंकित थी और न ही वोह किसी अधिकार द्वारा प्रमाणित था| अधिकार यह देख कर हैरान रह गए कि साफ़ नज़र आरहा था कि रजिस्टर को खोल कर दुबारा सिला गया है| लिपिकों ने बताया कि नये पंजीकृत होनेवाले वाहनों का सभी कार्य कंप्यूटर से किया जाता है जबकि पुराने वाहनों का कार्य हाथ से होता है। पत्रावलियों की फीडिंग व साफ्टवेयर न आने से ऐसे ही कार्य हो रहा है। जांच के दौरान नाजिम शम्सी ने वर्ष 2003 में अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी होनेवाले ट्रक पर बकाया दिखाकर आरसी जारी करने की शिकायत की। उनका कहना था कि बकाया होने पर किसी वाहन की अनापत्ति जारी ही नहीं हो सकती है। इस संबंध में जब डिप्टी कलेक्टर ने जानकारी की तो सम्बंधित लिपिक के कानपुर जाने की सूचना दी गई। श्री उपाध्याय ने बताया कि जांच कल भी जारी रहेगी|