फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) बसपा नेता डॉ० अनुपम दुबे को हाई कोर्ट ने मंगलवार को इंस्पेक्टर रामनिवास हत्याकांड में जमानत मंजूर कर ली|
बीते 14 मई 1996 में जनपद कन्नौज के गुरसहायगंज कोतवाली के इंस्पेक्टर रामनिवास यादव निवासी लोहार सराय, थाना अमीसराय जिला मेरठ, ट्रेन से जा रहे थे। कानपुर में रावतपुर और अनवरगंज के बीच में ट्रेन में गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी। घटना में जनपद फर्रुखाबाद के फतेहगढ़ क्षेत्र के मोहल्ला कसरट्टा निवासी डा० अनुपम दुबे व उनके चाचा सहसापुर मोहम्मदाबाद निवासी कौशल दुबे, छिबरामऊ निवासी नेम कुमार उर्फ बिलैया के खिलाफ मुकदमा कराया गया था। इस मामले में वर्ष 2003 में गैरजमानती वारंट जारी हुए थे। गिरफ्तारी नहीं होने पर 2008 में कुर्की वारंट जारी किया गया था। हालांकि अनुपम दुबे उच्च न्यायालय से स्टे ले आए थे। अब चार जुलाई को हाईकोर्ट ने स्टे खारिज कर दिया और सात जुलाई को कुर्की कार्रवाई के आदेश दिए। मामले में जीआरपी ने अनुपम दुबे के घर दबिश दी| लेकिन अनुपम हाथ नही लगे| 14 जुलाई 2021 को डॉ० अनुपम दुबे ने सीजेएम कोर्ट में आत्म समर्पण कर दिया था| वह मैंनपुरी जेल में निरुद्ध हैं| मंगलवार को अनुपम को इस मामले में जमानत दे दी|
शमीम हत्याकांड में पहले ही मिल चुकी जमानत
जनपद कन्नौज की गुरसहायगंज कोतवाली के समधन निवासी लकड़ी ठेकेदार शमीम की 26 जुलाई 1995 को फतेहगढ़ कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला कसरट्टा के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उसके भाई ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने शमीम हत्याकांड में 14 जुलाई 1999 को बसपा नेता डॉ. अनुपम दुबे, शिशु व राजू लंगड़ा के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। पुलिस ने इस मामले में भी अनुपम दुबे को पिछले अप्रैल महीने में ही जमानत मंजूर कर ली थी|