लखनऊ:जब कोई सरकार तमाम मिथकों को तोड़कर दोबारा बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करती है तो उसके पीछे जनता की ढेरों उम्मीदें भी जिम्मेदारी के रूप में बंधी चली आती हैं। इन उम्मीदों को यथाशीघ्र पूरा करने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार न सिर्फ अपने मंत्रियों के चरणबद्ध लक्ष्य तय कर रही है, बल्कि सौ दिन की परफार्मेस पर रिपोर्ट कार्ड भी जारी करने का एलान कर चुकी है।
ऐसे महत्वाकांक्षी उद्देश्य तभी फलीभूत हो सकते हैं, जब सभी अंशभागी उतने ही पावन-पवित्र और समर्पित भाव से काम में जुटे। यद्यपि गुरुवार को सोनभद्र के जिलाधिकारी और गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को निलंबित किया जाना प्रथमदृष्टया यही प्रमाणित करता है कि कुछ पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी सरकार की मंशा को ठीक से समझने और उन्हें लागू करने में अब भी रुचि नहीं ले रहे हैं।मंडलायुक्त की जांच में सोनभद्र डीएम टीके शिबू को न सिर्फ विधानसभा चुनाव में किरकिरी कराने का दोषी पाया गया है, बल्कि उन पर खनन में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी पुष्ट हो रहे हैं। ऐसे आरोप अतीत में स्थानीय विधायकगण भी लगाते रहे हैं। वहीं, गाजियाबाद के एसएसपी पवन कुमार को आपराधिक वारदात रोकने में नाकाम साबित होने पर निलंबित किया गया है। दूसरे कार्यकाल की यह पहली बड़ी कार्रवाई बताती है कि अधिकारियों को हर हाल में ईमानदारी और निष्ठा दिखानी होगी। साथ ही अपनी कार्यक्षमता साबित करनी होगी। योगी सरकार कई आइएएस व पीसीएस अधिकारी भी दंडित किए गए थे। इसके बावजूद कुछ अधिकारी अपनी स्वार्थपूर्ति में ही जुटे हुए हैं। योगी सरकार ने वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित करके यह संदेश ही दोहराया है कि भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की उसकी नीति में कोई बदलाव नहीं आया है।