डेस्क: होली का त्योहार विश्व प्रसिद्ध है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि यानी आज होलिका दहन का पर्व होगा। इसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। वहीं 18 मार्च यानी चैत्र मास की प्रतिपदा को रंग वाली होली खेली जाती है। इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया रहेगा। जिसके कारण होलिका दहन के समय में थोड़ा समय लगेगा। जानिए किस समय होगा होलिका दहन, साथ ही जानिए कैसे करें होलिका दहन से पूर्व पूजा। निर्णय सिंधु व धर्म सिंधु के अनुसार भद्रा काल में होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है। लेकिन भद्रा पुच्छ के समय होलिका दहन किया जा सकता है। इसलिए रात एक बजे से होलिका दहन करना उचित रहेगा। इससे भद्रा को दोष कम लगेगा।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
फाल्गुन शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 17 मार्च दोपहर 1 बजकर 03 मिनट से शुरू
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 18 मार्च की दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक
होलिका स्थल पर पूजन का मुहूर्त: आज दोपहर 1 बजकर 29 से शुरू
लाभामृत योग- दोपहर 1 बजकर 29 मिनट से 3 बजकर 30 मिनट तक
शुभ योग- शाम 5 बजे से 6 बजकर 30 मिनट तक।
भद्रा- 17 मार्च की दोपहर 1 बजकर 03 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 57 मिनट तक रहेगा।
भद्रा के पुच्छ काल- रात 9 बजकर 30 मिनट से 10 बजकर 43 मिनट।
होलिका दहन के दिन बन रहे हैं खास योग
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल होलिका दहन के दिन काफी खास योग बन रहे हैं। इन योगों का असर जातकों को ऊपर अच्छा होगा। इस दिन अभिजीत, अमृत सिद्धि, सर्वार्थ सिद्धि और धुव्र योग आदि योग बन रहे हैं।
होलिका दहन की पूजा विधि
होलिका दहन से पहले होलिका माई की पूजा करने का विधान है। होलिका दहन के दिन सूर्योदय के समय सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद होलिका दहन वाले स्थान पर जाएं। इसके बाद पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। सबसे पहले गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाएं। इसके बाद हाथों को धोकर पूजा प्रारंभ करें। सबसे पहले जल अर्पित करें। इसके बाद रोली, अक्षत, फूल, हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, रंग, सात प्रकार के अनाज, गेहूं की बालियां, गन्ना,चना आदि एक-एक करके अर्पित कर दें, साथ ही भगवान नरसिंह की पूजा भी कर लें। होलिका पूजा के बाद कच्चा सूत से होलिका की 5 या 7 बार परिक्रमा करके बांध दें।