फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला) जिले में बीते कई दिनों से हो रही बरसात नें किसानों को मुसीबत में डाल दिया है| जिससे उनके माथे पर बल पड़ा है| लगातार हो रही बारिश नें आलू में झुलसा रोग और सरसों व मटर आदि में भी विभिन्य बीमारी को जन्म दे दिया है| लेकिन यदि किसान इन रसायनों का छिड़काव करते है तो आलू, मटर व सरसों को रोगों से दूर किया जा सकेगा|
जिला कृषि अधिकारी डॉ० राकेश कुमार सिंह नें बताया कि वर्षा को ध्यान में रखते हुए रबी की प्रमुख फसलों जैसे आलू में झुलसा, सरसों में सफेद गेरुई, गेंहू की फसल में पीली गेरूई रोग लगनें की सम्भावना है| कीट व रोगों से बचाव के लिए यह करें-
आलू का झुलसा से बचाव- आलू की फसल में अगेती/पिछेती झुलसा का प्रकोप होनें पर पत्तियों पर भूरे व काले रंग के धब्बे बनते है तथा तीब्र प्रकोप होनें पर सम्पूर्ण पौधा झुलस जाता है| रोक के प्रकोप की स्थित में इन रसायनों में किसी एक को 250-300 ली० पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें-
1. कापरआक्सी क्लोराइड 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी- 1.00 कि०ग्र० |
2. मैन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी- 1.00 किग्रा०
3. जिनेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी- 0.80 किग्रा०
सरसों में डालें- राई/सरसों की फसल में पत्तियों की निचली सतह पर सफेद फफोले बनते है| उपचार हेतु रिडोमिल एमजेड- 72, 2.5 किग्रा० प्रति हेक्टेयर की दर से 800-1000 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाब करें|
मटर में डाले- मटर की फसल में पाउडरी मिल्ड्यू रोग के नियंत्रण हेतु जिनेब 75 प्रतिशत डब्लू पी 02 किग्रा० अथवा कॉपर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लूपी की 3 किग्रा की मात्रा प्रति हेक्टर की दर से लगभग 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें|
गेहूं में डालें- पीली गेरूई रोग के लक्षण सर्वप्रथम पत्तियों पर पीले रंग की धारी के रूप में दिखाई देते है, जिसे हाथ की उँगलियों पर छूनें से पीले रंग का पाउडर लग जाता है| रोग के लक्षण दिखाई देनें पर प्रोपिकोनाजोल 25 प्रतिशत ईसी, 200 मिली मात्रा में 250-300 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर की छिडकाब करना चाहिए| रोग के प्रकोप तथा फैलाव को देखते हुए दूसरा छिड़काब 10-15 दिन के अंतराल पर करें| फसल पर रसायन का छिड़काव वर्षा व कोहरे की स्थिति में न करें|