फर्रुखाबाद :(जेएनआई ब्यूरो) मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है’ -लिखने वाले शायर ने गलत नहीं कहा है। अंतत: वही होता है जो खुदा को मंजूर होता है। किसी व्यक्ति के लाख बुरा सोचने से सामने वाले का बुरा नहीं होता, हां कुछ समय के लिए परेशानी अवश्य आती है। अपनी गलत हरकतों से हलचल मचाने वाले लोग अंतत: परास्त ही होते हैं। इसका स्पष्ट प्रमाण न्यायालय में काउंसलिग के बाद देखनें को मिला| जहाँ जहां टूटने के कगार पर पहुंची 22 शादियों को फिर रिश्ते न्यायालय की मध्यस्तता के बाद रिश्तो की डोर मिल गयी| सभी हंसी-खुशी अपने घर रवाना हो गये| जिला जज ने कहा कि दंपती एक-दूसरे की भावनाओं की कद्र करें|
वहीं शनिवार को फतेहगढ़ में लगी लोक अदालत में पारिवारिक विवाद के मुकदमों में दंपतियों के बीच काउंसलिग करायी गयी|दम्पत्तियों को जनपद न्यायाधीश शिवशंकर प्रसाद की मौजूदगी में साथ रहने के लिए प्रेरित किया गया। कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश आलोक कुमार पाराशर ने कहा कि समय व परिस्थिति के अनुसार आपस मतभेद हो सकते हैं, लेकिन एक दूसरे अलग रहने का निर्णय किसी भी मायनें में ठीक नही है| इस पर 22 दंपती एक-दूसरे के साथ फिर से परिवार बसानें को राजी हो गये| न्यायालय की ओर से सभी दंपतियों को मालाएं व मिठाई दी गई। दोनों नें एक दूजे को मालाएं पहनाकर मिठाई खिलाकर बधाई दी| अपर जिला जज राजेश कुमार राय, विजय गुप्ता, काउंसलर मनीश कश्यप आदि रहे।