फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) देश में लम्बे समय से कृषि कानून बिल की वापसी को लेकर लम्बे समय से चल रहे संघर्ष को पीएम मोदी नें शुक्रवार को बिराम दे दिया| जिससे जहाँ किसान यूनियन और विरोधी दलों में खुशी का माहौल है लेकिन सांसद मुकेश राजपूत बिल वापसी के समर्थन में नही दिखे| उन्होंने साफ कहा कि कृषि कानून वापस होनें से किसानों के पैरों में फिर बेड़ियां पड़ गयीं है|
भाजपा के सांसद मुकेश राजपूत नें जेएनआई को अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसान बिल वापसी पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है| उन्होंने कहा कि वह कृषि कानून की वापसी के समर्थन में नही है| उन्होंने कहा की कांग्रेस और उसके सहयोगी दल लम्बे समय से इसका विरोध कर रहे थे जिससे देश को काफी नुकसान हो रहा था लिहाजा पीएम मोदी नें इसे वापस लिया है| उन्होंने कहा कि वह इस कानून वापसी के पक्ष में नही है| विरोध करने वाले कुछ ठोंगी किसान नेता बनकर अपने निजी स्वार्थ के लिए किसानों का अहित करनें से बाज नही आ रहे| उन्होंने कहा कि किसान कहीं भी अपनी फसल की बिक्री कर सकता था अब उसके पांवों में फिर से बेड़ियां पड़ जायेंगी|
सपा जिलाध्यक्ष नदीम अहमद फारुखी नें जेएनआई को बताया कि किसान लम्बे समय से बिल वापसी की मांग कर रहे थे| विधान सभा चुनाव नजदीक आते ही बिल वापस करना यह साफ दर्शाता है कि यह भाजपा सरकार का चुनावी स्टंट है| इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अभी किसानों की कई मांगे लम्बित है सरकार उनपर भी विचार करे|
बसपा जिलाध्यक्ष नरेंद्र जाटव नें जेएनआई को बताया कि तीनो काले कानूनों को वापस करनें की मांग बसपा प्रमुख मायावती नें सबसे पहले ही की थी| किसानों का बलिदान रंग लाया है| अभी यह सरकार का चुनावी फार्मूला है| यह भी को दिख रहा है| किसानों की अन्य मांगे भी सरकार मानें| प्रगति शील समाजवादी पार्टी लोहिया के जिलाध्यक्ष विमल यादव ने जेएनआई को बताया कि सरकार नें मुंह की खा ली है| देश के किसान को बिल वापसी का लम्बे समय से इंतजार था| प्रसपा बिल वापसी के लिए लगातार संघर्ष कर रही थी| लेकिन इतने लम्बे समय के बाद बिल वापस करना सरकार विधान सभा चुनाव में इसका लाभ लेना चाहती है| प्रसपा देश के किसान की जीत में उसके साथ है|