अपराध की ओर ले जाती प्रतिशोध की भावना

CRIME FARRUKHABAD NEWS POLICE

फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) केन्द्रीय कारागार फतेहगढ़ में चल रही भगवत कथा में मंगलवार को के तीसरे दिन कथा वाचक प्रशान्त जी महाराज नें व्यक्ति को अपराध के मार्ग पर जानें से बचने का रास्ता बताया| उन्होंने कहा कि प्रतिशोध की भावना ही व्यक्ति को अपराध की तरफ ले जाती है|
कथा वाचक प्रशान्त जी महाराज नें कहा महाभारत का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि अश्वत्थामा नें द्रौपदी के सुप्त पुत्रों का जब वध कर दिया तो अर्जून नें भगवान के आदेश का पालन करते हुए अश्वत्थामा के बाल और मूंछ का मुंडन कर अपमान करने का आदेश दिया क्यों कि सम्मानीय व्यक्तियों का अपमान मृत्यु से बड़ा दण्ड होता। अपने अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए अश्वत्थामा नें पांडव वंश का अंतिम दीपक परीक्षित को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र कस प्रयोग किया परन्तु भगवान ने परीक्षित की रक्षा की । कथा के रहस्य को खोलते हुए उन्होंने नें बताया कि अपने साथ हुए अन्याय का प्रतिशोध लेने के लिए हम अपराध के मार्ग को चुन लेते जो कि उचित नहीं, क्यों बाद में हम स्वयं एक अपराधी हो जाते हैं । उन्होंने ने कहा कि प्रतिशोध के लिए हमें स्वयं अपराधी न होकर हमें कानून का सहारा लेना चहिये। इस प्रकार कथा क्रम को आगे बढ़ते हुए नारद चरित्र व्यास जन्म की कथा आदि का वर्णन किया।  वरिष्ठ जेल अधीक्षक प्रमोद शुक्ला नें पूजा अर्चना कर जेल अधिकारियों के साथ कथा का श्रवण भी किया|