फर्रुखाबाद:(दीपक शुक्ला) एक ऐसा रहस्मयी तालाब बना हुआ है जहां का पानी लोगों के लिए वरदान है। ऐसी मान्यता है कि इस तालाब का निर्माण महाभारत काल में कराया गया था। जनपद के विकास खंड शमसाबाद के ग्राम नगला नान में स्थित चिंतामणि तालाब आज भी किसी रहस्य बना है| मान्यता है कि पांडवों ने एक साल का अज्ञातवास इस तालाब के किनारे रहकर भी काटा था।
फर्रुखाबाद जिले की सीमा से करीबन 10 किलोमीटर दूर स्थित गांव नगला नान में महाभारत कालीन का यह तालाब बना है। बताया जाता है कि राजा चिंतामणि को कोढ़ था। वह गंगा नहाने के लिए हरिद्वार जा रहे थे। तभी रास्ते में उन्होंने शौच के बाद इसी रहस्मयी तालाब में स्नान किया तो उन्हें कोढ़ में कुछ लाभ मिला। जिसके बाद राजा चिंतामणि नें उस तालाब में नहाना शुरू किया और इस तालाब का नाम भी इसी चिंतामणि तालाब बन गया| आज भी मान्यता है कि इस तालाब में स्नान करने से कुष्ठ रोग, चर्म रोग की समाप्ति हो जाती है।
राजा चिंतामणि तालाब किनारे हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा, माघी पूर्णिमा और ज्येष्ठ दशहरा को मेला लगता है। इस मेले में एटा, बदायूं, मैनपुरी, शाहजहांपुर, हरदोई,और कांशीराम नगर आदि जिलों से श्रद्घालु आकर अपने बच्चों का मुंडन और अन्न प्रासन आदि कार्यक्रम करते हैं। लोग तालाब में स्नान करने के बाद वहां बने शंकर व हनुमान मंदिर में पूजन कर सच्चे मन से जो भी मनोकामना मांगी जाती है। वह पूर्ण होती है। इसीलिए यहां हर साल कई जिलों से लोग आकर मन्नत पूरी होने पर पूजन-अर्चन करते हैं। तालाब में क्विंटलों मछलियां हैं लेकिन इनका शिकार नहीं करने दिया जाता है।
जीर्णोद्धार का कर रहा इंतजार
विगत 3 मई 20 12 को लखनऊ विश्वविद्यालय के पुरातत्व एवं प्राचीन इतिहास विभाग की टीम नें तालाब की खुदाई की थी| टीम के सदस्यों का पता लगानें का प्रयास किया था| तालाब ऐतिहासिक होंने के साथ ही पौराणिक मान्यता भी रखता है लेकिन इसके बाद भी उसका जीर्णोद्धार नही किया गया जा सका| सिर्फ एक बार पूर्व विधायक कुलदीप गंगवार ने 11 लाख रुपये जीर्णोद्घार के लिए दिए थे। वर्ष 2008 में पूर्व प्रधान शोभित गंगवार ने तालाब की मरम्मत एवं गेट बनवाते समय उस पर प्लास्टर करवा दिया था। तालाब की चाहरदीवारी छोटी इंटों से बनी है। तालाब के उत्तर दक्षिण दो कोठरी बनी है और चारों कोनो पर गुंबद बने हैं।
(उत्कर्ष चतुर्वेदी संवाददाता नवाबगंज)