लखनऊ: लखीमपुर खीरी में अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी की जयंती के एक दिन बाद हिंसा में चार किसान सहित आठ लोगों की मृत्यु के मुख्य आरोपित केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा मोनू पर शिकंजा कसता जा रहा है। शनिवार देर रात गिरफ्तारी के बाद जेल भेजे गए आशीष मिश्र मोनू की पुलिस कस्टडी रिमांड पर सोमवार को सुनवाई के बाद सीजेएम कोर्ट ने तीन दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा है।
लखीमपुर खीरी की हिंसा में आठ लोगों की मृत्यु के मामले में मुख्य आरोपित आशीष मिश्रा मोनू को लेकर कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष योगी आदित्यनाथ और नरेन्द्र मोदी सरकार पर हमलावर है। इस बीच में आशीष के पिता और केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने की भी मांग की जा रही है। लखीमपुर खीरी की हिंसा में किसानों सहित आठ लोगों की मृत्यु के मामले में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के इस्तीफे की मांग के बीच में कोर्ट से उनके बेटे मुख्य आरोपित मंत्री पुत्री आशीष मिश्रा को राहत नहीं मिली है। बीते शनिवार रात से जेल में बंद आशीष को कोर्ट ने तीन दिनों की पुलिस रिमांड में भेजा है। लखीमपुर खीरी में तीन अकटूबर को हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को लखीमपुर सीजेएम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उसे तीन दिनों की पुलिस रिमांड में भेज दिया है। अब अगले तीन दिनों तक एसआईटी आशीष से और अधिक पूछताछ कर सकेगी।
लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा मोनू पर पुलिस का शिकंजा काफी कस गया है। लम्बी बहस के बाद पुलिस को आशीष मिश्रा की तीन दिन की पुलिस रिमांड मिली है। अब पुलिस उससे हिंसा में आठ लोगों की मृत्यु के मामले में पूछताछ भी करेगी। लखीमपुर खीरी कांड में सीजेएम कोर्ट ने शाम को करीब 4:15 बजे केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्र मोनू को तीन दिन की पुलिस रिमांड पर ले जाने की इजाजत दी है। मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा को कोर्ट ने तीन दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा है। आशीष मिश्रा 12 से 15 अक्टूबर तक पुलिस रिमांड पर रहेगा। खीरी हिंसा के मुख्य आरोपित आशीष मिश्र की पुलिस रिमांड पर सुनवाई के लिए वर्चुअल सुनवाई 2:42 पर समाप्त की। तकनीकी खराबी के कारण 2: 27 पर शुरू हुई थी सुनवाई। एसपीओ ने 14 दिनों की रिमांड मांगी। आशीष मिश्रा मोनू के वकीलों ने कहा कि 12 घंटे तो पूछताछ कर चुके है, पुलिस अब क्या पूछताछ करना चाहती है। अभियोजन का तर्क आशीष मिश्रा मोनू में असहयोग करते हुए 12 घंटे में केवल 40 सवालों का ही जवाब दिया है। अदालत में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया|
लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री आशीष मिश्रा मोनू को पुलिस रिमांड पर लेने की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर दिन में दो बजे शुरू हो गई। तकनीकी खामी के कारण बाधित होने के बाद भी यह सुनवाई करीब एक घंटा तक चली। सीजेएम ने दोनों पक्ष की बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया। लखीमपुर हिंसा के इस शासन की ओर से अपर निदेशक अभियोजन राजेश श्रीवास्तव लखीमपुर पहुंचे। उनकी मौजूदगी में मुख्य अभियोजन अधिकारी लखीमपुर खीरी ने पुलिस का पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकीलों ने अवधेश सिंह, अवधेश दुबे तथा शैलेन्द्र सिंह कहा कि आशीष मिश्रा उफ मोनू से पुलिस लगातार 12 घंटे तो पूछताछ कर चुके हैं। पुलिस अब और क्या पूछताछ करना चाहती है। आशीष में बचाव पक्ष का आरोप है कि आप बताएं कि उन्होंने किस तरह जांच में सहयोग किया है। आशीष तो 12 घंटे में सिर्फ 40 सवालों का ही जवाब दे सके। कोर्ट में काफी गहमा गहमी है। आशीष मिश्रा मोनू जेल से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े। इस दौरान सीजेएम ने नाम पूछा, लेकिन उधर से कोई आवाज नहीं आई। कॉन्फ्रेंसिंग थोड़ी देर तकनीकी समस्या के कारण बाधित रही। मोनू मिश्रा की आवाज नहीं आ रही थी। सीजेएम के साथ वार्ता के दौरान आशीष मिश्रा की आवाज नहीं आ रही थी। इस परेशानी को देखकर सीजेएम कोर्ट छोड़कर चले गए। उनका स्टाफ तकनीकी समस्या को दुरुस्त करने में लगा। आशीष मिश्रा मोनू से लखीमपुर खीरी पुलिस के साथ ही इस केस की जांच के लिए गठित एसआइटी ने शनिवार को करीब 12 घंटा पर पूछताछ की, लेकिन कोई नतीजा सामने नहीं आ सका। आज मोनू की कचहरी में पेशी को लेकर शहर में सुरक्षा व्यवस्था काफी सख्त की गई। शहर में बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात की गई। इसमें भी कचहरी तथा आसपास क्षेत्र में पीएसी व आरएएफ के जवान भी लगाए गए। देश की नजर लखीमपुर खीरी कांड की उस तफ्तीश पर है, जिसमें यह साबित होने वाला है कि उन पर लगाए गए आरोप कितने सटीक हैं और वह घटना के वक्त कहां थे। आशीष मिश्रा मोनू की कस्टडी रिमांड को देखते हुए यहां पर शासन से अपर निदेशक अभियोजन राजेश श्रीवास्तव को भेजा गया । आशीष मिश्रा की पुलिस रिमांड के बाद से माना जा रहा है कि उसके ऊपर लगे आरोपों की तस्वीर थोड़ा और साफ होगी।
लखीमपुर खीरी के केस पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी से अब इसकी जांच कर रही एसआइटी विवेचना के हर हिस्से में बहुत संभालकर रख कदम बढ़ा रही है। जांच एजेंसी को भय है कि किसी कमजोर साक्ष्य की वजह से उसकी कोई किरकिरी न हो जाए। विपक्ष और पीडि़त परिवारों को कोई ऐसा मौका न मिल जाए, जिससे यह मामला कोई नया मोड़ ले ले। पुलिस लाइन के क्राइम ब्रांच आफिस में खीरी कांड के मुख्य आरोपित केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्र मोनू को शनिवार एसआइटी ने सुबह करीब 10:40 मिनट पर हिरासत में लिया गया। उसके बाद उससे पूछताछ का जो सिलसिला शुरू हुआ वो 12 घंटे तक चला। रात ठीक 10:40 बजे एसआइटी के प्रभारी डीआइजी उपेंद्र अग्रवाल मीडिया के सामने आए और जांच व पूछताछ में सहयोग न करने के कारण आशीष मिश्रा मोनू को गिरफ्तार करने की जानकारी दी। उसके बाद चिकित्सीय परीक्षण की तैयारी की जाने लगी है| एसआइटी के इस रवैये से साफ हो गया कि बेगुनाही के जो सबूत आशीष मिश्रा लेकर के आए थे वो काम नहीं आए। अब एसआइटी ने वह सभी साक्ष्य संकलित करने शुरू कर दिए, जिससे यह साबित होगा कि लखीमपुर खीरी कांड में आरोपित आशीष मिश्रा की भूमिका इस मामले में संदिग्ध है और इसके और अधिक साक्ष्य संकलन की जरूरत है। अब यह भी तय है कि इस कांड से जुड़े सभी इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों को एसआइटी फारेंसिक जांच कराए बिना अपना साक्ष्य नहीं बनाएगी।