लखनऊ: लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) में फर्जीवाड़ा रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अब लविप्रा की मानसरोवर योजना में एक भूखंड पर दो दावेदार आ गए हैं। मौके पर और ले आउट में एक भूखंड हैं। योजना देख रहे पूर्व के बाबुओं ने एक भूखंड का नंबर 3/20 ए आवंटित किया जो वर्ष 2009 में शिल्पी द्विवेदी के नाम आवंटित किया जो सही प्रतीत हो रहा है। इस रजिस्ट्री में संपत्ति अधिकारी गजेंद्र सिंह के हस्ताक्षर हैं। वहीं इसी भूखंड का नया नंबर 3/21 ए कर दिया। भूखंड पर दावा दीप्ति कर रही हैं। यह रजिस्ट्री वर्ष 2015 में हुई और संपत्ति अधिकारी अम्बी बिष्ट हैं, जो मुलायम की समधन है। अब लविप्रा के अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा के सामने यह मुद्दा आया है। उनके मुताबिक वर्ष 2009 की रजिस्ट्री प्रारंभिक जांच में सही पायी गई है। वहीं वर्ष 2015 की रजिस्ट्री फर्जी प्रतीत हो रही है। फिलहाल वर्ष 2015 में हुई रजिस्ट्री पर अंकित हस्ताक्षर की पुष्टि के साथ ही लेखा से जमा की गई राशि और सत्यापित रजिस्ट्री की प्रति रजिस्ट्री ऑफिस से मंगवाने की बात कही है। जांच में पाया गया कि शिल्पी ने सेक्टर ओ के भूखंड संख्या 3/20 ए का पूरा पैसा जो 6.72 लाख जमा कर चुकी हैं। यह भूखंड 200 वर्ग मीटर का है। वहीं वर्ष 2015 में शल्पी द्वारा भी 12.44 लाख जमा किया जा चुका है, लेकिन मूल रसीदों के साथ ही रजिस्ट्री पहले शिल्पी की छह साल पहले हुई। मौके पर मौजूद एक भूखंड पर दो दावेदार आने से लविप्रा के लिए सिरदर्द बना हुआ है। लविप्रा के अपर सचिव ने बताया कि वर्ष 2009 में प्राधिकरण में रहे गाजेंद्र सिंह और वर्ष 2015 में तैनात रही अम्बी बिष्ट के हस्ताक्षर का मिलान कराया जाएगा। उन्होंने शंका जताई कि हस्ताक्षर में भी खेल हो सकता है। उधर लेखा में जमा किए गए पैसों का मिलान करने के साथ ही अन्य तथ्यों का ब्योरा संबंधित बाबुओं से तलब किया गया है। लविप्रा अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा ने बताया कि मामला बड़ा पेचीदा है। इसकी जांच शुरू कर दी गई है। एक रजिस्ट्री में संपत्ति अधिकारी गाजेंद्र सिंह और दूसरी में अम्बी बिष्ट के हस्ताक्षर है। जांच कराई जा रही है। खासबात है कि मौके पर एक भूखंड है। दोनों दावेदार उक्त भूखंड पर अपना दावा होने की बात कर रहे हैं। जो नियमानुसार होगा, उसी के पक्ष में भूखंड दिया जाएगा।