लखनऊ: केंद्र सरकार की ओर से शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के प्रमाणपत्र की वैधता को आजीवन करने के फैसले के बाद अब उत्तर प्रदेश सरकार भी इस दिशा में गंभीरता से विचार करने जा रही है। अभी उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) के प्रमाणपत्र की वैधता पांच वर्ष है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की ओर से इस बाबत गुरुवार को घोषणा करने के बाद उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. सतीश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि यह निर्णय छात्र हित में है। इससे शिक्षक बनने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को सहूलियत होगी। उन्होंने कहा कि अभी हमें केंद्र सरकार के इस फैसले की लिखित रूप में जानकारी नहीं हुई है, लेकिन यह निर्णय सामयिक है। राज्य सरकार इस दिशा में गंभीरता से विचार करेगी।
बता दें कि नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद केंद्र सरकार के तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पहली से लेकर आठवीं कक्षा मैं पढ़ाने वाले शिक्षकों की भर्ती के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया था। केंद्र सरकार जहां केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) आयोजित करती है, वही उत्तर प्रदेश सरकार का बेसिक शिक्षा विभाग इसे उप्र शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) के नाम से आयोजित करता है।शिक्षक पात्रता परीक्षा के नियम राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) तय करता रहा है। 29 सिंतबर, 2020 को एनसीटीई ने 50वीं आमसभा में टीईटी का प्रमाणपत्र आजीवन वैध करने का प्रस्ताव पारित किया। एनसीटीई की ओर से 13 अक्टूबर को जारी मिनट्स में कहा गया है कि आगे से होने वाली सीटीईटी की वैधता आजीवन रहेगी। ज्ञात हो कि पहले सीटीईटी प्रमाणपत्र सात वर्ष के लिए मान्य करता था। अब वर्ष 2011 से अब तक के सभी प्रमाणपत्रों को आजीवन मान्य किया जा रहा है।