जेलों के 372 बंदियों को रिहाई के आदेश पर इंतजार

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फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) इलाहाबाद हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव की अध्यक्षता में गठित हाई पावर कमेटी ने व्यापक पैमाने पर सजायाफ्ता व विचाराधीन कैदियों की रिहाई की योजना बनी| जिसके तहत  कोरोना काल में जेलों में क्षमता से अधिक बंद कैंदियों को कम कर जेलों में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करानें के लिए बंदियों की रिहाई का सिलसिला जारी है| बीते दिन जिला जेल से कुल 74 बंदी रिहा किये गये| अभी कुल दोनों जेलों के 372 बंदियों को रिहाई के आदेश का इंतजार है|
पूर्व कोरोना काल में रिहा किये गये जो बंदी शांतिपूर्ण पेरोल के बाद जो समर्पण कर चुके हैं,उन्हें फिर से 60 दिन की पेरोल दी जाएगी। सात साल से कम सजा के अपराधी या आरोपित को 60 दिन की विशेष पेरोल अथवा अंतरिम जमानत मिलेगी, बशर्ते जेल में प्रतिकूल कार्रवाई न हुई हो।
दरअसल केन्द्रीय कारागार से शासन का आदेश आनें के बाद मानक में आ रहे 350 बंदियों की सूची के साथ ही आधा दर्जन वह अतिरिक्त बंदी जो पूर्व में पैरोल पर छोड़े जानें के बाद समयवधि पूर्ण होनें के बाद जेल में आत्मसमर्पण कर चुके है को अलग से सूची में शामिल किया गया था| लेकिन आदेश अभी तक ना आनें से उनकी रिहाई फिलहाल अटकी हुई है|
इन्हें पैरोल या अंतरिम जमानत नहीं
1.
हत्या, आजीवन कारावास का अपराध, फिरौती के लिए अपहरण, हत्या के लिए अपहरण, जिनकी उम्र 65 साल से कम हो।
2.राज्य व सेना के विरुद्ध अपराध, स्टांंप अपराध, डकैती व दुष्कर्म, दुष्कर्म का प्रयास, मनी लांड्रिंग।
3.यूपी कोका, पाक्सो, संगठित अपराध, विदेशी नागरिक, बैंक नोट, करेंसी, एसिड अटैक, समाज या पीड़ित के लिए खतरा। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लंबित या खारिज होने वाले मामले के आरोपित।
केन्द्रीय कारागार के वरिष्ठ जेल अधीक्षक प्रमोद शुक्ला नें जेएनआई को बताया कि कुल 356 बंदियों की सूची शासन को भेजी गयी है| अभी आदेश नही आया है| आदेश आते ही रिहाई कर दी जायेगी|
जिला जेल के कार्यवाहक अधीक्षक अखिलेश कुमार नें बताया कि बीते दिन 74 बंदी छोड़े गये थे| अभी 16 बंदियों की रिहाई का आदेश और आना है| आदेश आने पर उन्हें भी रिहा किया जायेगा|