फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) गंगा किनारे पर स्वच्छता और मौलिक सुविधाएं देना जिला प्रशासन का जिम्मा है तो श्रद्धालुओं को जागरूक करना उसका दायित्व। अब माघ मेला राम नगरिया में जिम्मेदार इस मामले में उदासीन दिख रहें है तो श्रद्धालु लापरवाह। एक माह तक मेला पांडाल में गंगा स्वच्छता के नाम पर मोटे-मोटे प्रतीक चिन्ह और लम्बे-लम्बे भाषण देनें वाले अब क्यों नही दिख रहे? एक माह के कल्पवास के बाद गंगा अब भीषण गंदगी से करहा रहीं हैं| धूप-अगरवत्ती की खुशबू की जगह मल की बदबू का साम्राज्य है| लेकिन अभी तक उसकी साफ-सफाई के लिए नही सोचा गया|
दरअसल बीते 28 फरवरी को शासकीय तौर पर मेला रामनगरिया का समापन हो गया| लेकिन उसके बाद जिम्मेदारों नें वहां फैली गंदगी से मुंह मोड़ लिया! कोरोना के दौरा में भी इस तरह से खुले में फैली गंदगी नई बीमारी को जरुर दावत देगी| जगह-जगह शौचालय के टेंक खुले पड़े है| उनमे अभी तक चूना नही डाला गया| नमामि गंगे के जिला संयोजक रवि मिश्रा व न्यायिक मानवाधिकार संरक्षण के जिलाध्यक्ष आदित्य दीक्षित नें बुधवार को गंगा घाट की सफाई का प्रयास किया लेकिन बड़ी मात्रा में गंदगी भारी पड़ी|
उपजिलाधिकारी अनिल कुमार नें जेएनआई को बताया कि सफाई का कार्य चल रहा है| जल्द ही खुले शौचालय के टेंक चूना आदि डालकर बंद कर कर सफाई व्यवस्था दुरस्त की जायेगी|