लखनऊ: उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को अब स्कूल में स्वच्छता के संस्कार दिए जाएंगे। इसके लिए परिषदीय विद्यालयों के छात्र और छात्राओं द्वारा रोज स्कूल में 15 से 20 मिनट साफ-सफाई की गतिविधियां संचालित की जाएंगी, ताकि यह बच्चों के व्यवहार में आ जाए। इस कार्यक्रम में शिक्षक भी योगदान करेंगे। इस प्रक्रिया को स्कूल की समय सारिणी में शामिल किया जाएगा। ताकि उनमें अपने स्कूल के प्रति नैतिक जिम्मेदारी का दायित्व बोध भी जगे।
‘मेरा विद्यालय-स्वच्छ विद्यालय’ की थीम को लागू करने के लिए अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा रेणुका कुमार ने सभी जिलाधिकारियों को शासनादेश जारी कर दिया है। शासनादेश में कहा गया है कि स्कूलों में साफ-सफाई के प्रबंधन के लिए पर्याप्त संख्या में झाड़ू, डस्ट बिन, कपड़ा व अन्य सफाई सामग्री मौजूद रहे। इसके लिए स्कूल कोप दी जानी वाली कंपोजिट ग्रांट की धनराशि का इस्तेमाल किया जा सकता है। स्कूल परिसर में कब, कहां और कैसे सफाई कार्य किया जाना है, इन तथ्यों को सूचीबद्ध किया जाएगा।
स्कूलों के शिक्षक न सिर्फ विद्यार्थियों को साफ-सफाई का अभ्यास करने के लिए प्रेरित ही नहीं करेंगे करेंगे बल्कि खुद भी सफाई करेंगे। स्कूल में सफाई क्षेत्रों का चयन और वहां की सफाई की लिस्टिंग शिक्षक तैयार करेंगे। इसके बाद छात्र समूहों में जिम्मेदारी बांटेंगे। हफ्ते में एक दिन बच्चों को ऑडियो-वीडियो या प्रिंट सामग्री के माध्यम से साबुन से हाथ धोना, पानी की बचत, शौचालय का उपयोग और शिष्टाचार की जानकारी दी जाएगी।
परिषदीय स्कूलों के छात्रों द्वारा राष्ट्रीय पर्वों 26 जनवरी व 15 अगस्त और नव वर्ष, होली, विश्व जल दिवस (22 मार्च), विश्व पर्यावरण दिवस (पांच जून), ग्लोबल हैंडवाशिंग दिवस (15 अक्टूबर), दीपावली, विश्व शौचालय दिवस (19 नवंबर) पर स्थानीय निवासियों के सहयोग से आस-पड़ोस में सफाई अभियान संचालित करने के लिए कहा गया है। इसके लिए शिक्षकों को जिला स्तर पर एक दिन का प्रशिक्षण दिया जाएगा।