फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) देवोत्थान एकादशी का पर्व आज बुधवार को है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु अपनी निद्रा त्यागते हैं। इसलिए इसे हरि उठनी एकादशी भी कहा जाता है। एकादशी के दिन से विवाह आदि शुभ मुहूर्त शुरू हो जाते हैं। एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने की मान्यता है। आस्थावान एकादशी के दिन नए गुड़, शकरकंद, गन्ने आदि का भोग लगाकर श्री हरि की पूजा करते हैं। किसान अपने खेत में गन्ने के थान की पूजा कर सुख समृद्धि की कामना करते हैं। जिसके चलते बाजार में गन्ना, शकरकंद दुगुने दामों पर बिक्री हो रहे है|
पवित्र कार्तिक मास में तुलसी पूजा के बाद इसी दिन उनके विवाह की परंपरा का भी निर्वहन किया जाता है। एकादशी पर्व के मद्देनजर बाजारों में गन्ने, नए गुड़, शकरकंद की दुकानें सज गई हैं। लोगों ने इनकी खरीदारी की। दीपावली की तर्ज पर तमाम लोग अपने घरों, प्रतिष्ठानों की साफ-सफाई कर साज-सज्जा व दीपोत्सव की तैयारी में जुटे देखे गए।
आचार्य सर्वेश कुमार शुक्ल नें बताया कि यदि श्रद्धा और भक्ति के साथ उक्त एकादशी व्रत पारायण किया जाए तो सहस्त्र अश्वमेध यज्ञ और सैकड़ों राजसूय यज्ञ के फलों की प्राप्ति हो जाती है।
इस व्रत में रात्रि जागरण का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यता के अनुसार जहां भगवान के लिए जागरण किया जाता है, वहां काशी, पुष्कर, प्रयाग, नैमिषारण्य, शालग्राम, मथुरा आदि संपूर्ण तीर्थ निवास करते हैं। चारों वेद, समस्त यज्ञ श्रीहरि के निमित्त किए जाने वाले जागरण के स्थान पर उपस्थित होते है। गंगा, सरस्वती, तापी, जमुना, सतलज आदि नदियां भी वहां उपस्थित होती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन रात्रि जागरण से मनुष्य के समस्त प्रकार के पापों का शमन हो जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान की कथा सुनने वाले भक्तों को सौ गोदान का फल प्राप्त होता है।